मध्य प्रदेश कांग्रेस के दो ध्रुव पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और कमलनाथ के बीच रिश्ते पहले जैसे नहीं रहे हैं और धरने पर सबके सामने हुए तीखे वार्तालाप के बाद अब दिग्विजय सिंह ने कांग्रेस का सीएम चेहरा युवा होने की कवायद शुरू कर दी है। इसके संकेत उन्होंने खंडवा में एक दरगाह में लोगों के संवाद के दौैरान मजाकिया अंदाज में देते हुए एक तीर से दो निशाने किए हैं। उन्होंने मजाक में यह बात छेड़ी है लेकिन माना जाता है कि उनके मजाक के भी राजनीतिक मायने होते हैं।
2018 में कांग्रेस की सत्ता में वापसी हुई थी जिसमें मुख्यमंत्री कमलनाथ तो बन गए थे लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया के विधायकों की संख्या ज्यादा होने से उन्होंने दिग्विजय सिंह के साथ मिलकर सरकार चलाने की कोशिश की। सरकार के समीकरण बैठाने में सीनियर और जूनियर मंत्रियों के बीच के अंतर को खत्म कर दिया गया। डॉ. गोविंद सिंह हो या सचिन यादव-जयवर्धन सिंह सभी को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दे दिया गया। इसमें दिग्विजय सिंह की विशेष भूमिका बताई गई क्योंकि इससे उनके पुत्र जयवर्धन सिंह को विशेष फायदा हुआ। हालांकि कमलनाथ सरकार 15 महीने ही चल पाई।
अब नए लड़कों को मौका मिलेगा
दिग्विजय सिंह ने इस बार भी मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर मजाक-मजाक में अपनी राय दे दी है। वे गुरुवार को खंडवा में एक दरगाह पर चादर चढ़ाने गए थे जहां पूर्व केंद्रीय मंत्री व पूर्व पीसीसी अध्यक्ष अरुण यादव भी थे। वहां लोगों ने दिग्विजय सिंह के दोबारा मुख्यमंत्री बनने की दुआ मांगने की अपील की तो उन्होंने कहा कि हमारा तो काम हो गया, अब ये (अरुण यादव की ओर इशारा करते हुए) नए लड़के हैं।
सीएम का युवा चेहरा: एक तीर से दो निशाने
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने मजाक में अरुण यादव जैसे युवाओं को सीएम बनने का मौका दिए जाने की बात कर कई तरफ निशाने किए हैं। इससे उन्होंने यह जाहिर कर दिया है कि अब वे ज्यादा उम्र के नेताओं को सीएम बनाने के पक्ष में नहीं हैं यानि निशाना कमलनाथ की तरफ है। साथ ही युवाओं को सीएम चेहरा बनाने की दिशा में बयान के मायने यादव ही नहीं उनके अपने बेटे जयवर्धन के लिए भी कवायद की ओर पहला कदम माना जा सकता है।
सरकार गिरने के बाद नेताओं में संबंध पहले जैसे नहीं
मध्य प्रदेश कांग्रेस में सत्ता हाथ से फिसलने के बाद नेताओं के बीच संबंध पहले जैसे दिखाई नहीं देते हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ के आसपास कुछ नेताओं की टीम है जिसका नियमित रूप से उनसे संवाद होता है। यह आम शिकायत है कि आम कार्यकर्ता को समय लेकर उनसे मिलना होता है। कुछ प्रभावी नेताओं ने अपनी सक्रियता बनाए रखी है लेकिन संगठन में अपनी भूमिका को लेकर वे भी कन्फ्यूज लगते हैं। दिग्विजय और कमलनाथ के बीच संबंध पहले जैसे नहीं होने का अंदाज कुछ दिन पहले ही दिग्विजय के धरनास्थल पर हुए वार्तालाप से लगाया जा रहा है। धरनास्थल पर सीएम से मिलने के लिए समय मांगने पर कमलनाथ से कह दिया था कि क्या इसके लिए भी आपसे इजाजत लेना पड़ेगी। वहीं, गुरुवार को प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में प्रदेश प्रभारी महासचिव मुकुल वासनिक, संगठन चुनाव कराने के लिए पहली बार आए एआईसीसी के पीआरओ व एपीआरओ की बैठक को उन्होंने विशेष तवज्जोह नहीं दी और निमाड़ के दौरे पर चले गए थे।