राजधानी के गांव-देहात के घरों की दहलीज तक न्याय पहुंचाने के लिए एक अनूठी मुहिम शुरू की जा रही है। इसके तहत दिल्ली के 98 गांवों को दिल्ली विधिक सेवा प्राधिकरण (डालसा) के न्यायिक अधिकारियों ने गोद लिया है।
खास बात यह है कि डालसा के न्यायिक अधिकारियों के साथ दिल्ली विश्वविद्यालय और गुरु गोविंद सिंह इन्द्रप्रस्थ विश्वविद्यालय (आईपीयू) के कानून के छात्र इस अभियान में शामिल रहेंगे। ऐसा पहली बार हो रहा है जब कानून के छात्रों को पढ़ाई के दौरान ही कानून की बारीकी समझने का मौका दिया जा रहा है। दिल्ली विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव कंवलजीत अरोड़ा ने बताया कि इस मुहिम की शुरुआत मंगलवार (15 फरवरी) से हो रही है। इसके तहत न्यायिक अधिकारियों का मकसद गांव-देहात तक लोगों तक कानूनी मदद पहुंचाना व उन्हें उनके मौलिक अधिकारों के प्रति सजग करना है। इस विशेष अभियान के जरिए उन पीड़ितों तक पहुंचा जाएगा जो अपने साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ अदालत पहुंचने में असमर्थ होते हैं अथवा कानूनी खर्च उठा पाना उनके लिए मुश्किल होता है।
255 में से 98 गांव गोद लिए गए
कंवलजीत अरोड़ा ने बताया कि दिल्ली में कुल 255 गांव हैं जिनमें से फिलहाल 98 गांवों को गोद लिया गया है। इस अभियान को यहां शुरू कर धीरे-धीरे इसे अन्य गांव तक पहुंचाया जाएगा। पहले चरण में सभी जिलों से अलग-अलग संख्या में गांवों को गोद लिया गया है।
पांच छात्रों को एक गांव दिया गया
इस अभियान के तहत पांच-पांच छात्रों को एक-एक गांव गोद दिया गया है। ये छात्र सप्ताह में दो दिन गांव में जाएंगे। वहां वह गांव के मुख्य स्थानों पर बैठेंगे। इसके अलावा वह जरूरत समझे जाने पर उन घरों तक जाएंगे, जहां पीड़ित को मदद की आवश्यकता होगी। छात्र पीड़ित की व्यथा सुनेंगे और फिर दिल्ली विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा उन्हें दिए गए फॉर्म में पीड़ित संबंधी जानकारी भरेंगे। इन फॉर्म को संबंधित 12 जिलों की अदालत स्थित डालसा कार्यालय में जमा कराया जाएगा। इसके बाद डालसा के न्यायिक अधिकारी व वकील पीड़ित से फोन के माध्यम से संपर्क करेंगे और उन्हें कानूनी मदद उनके घर की दहलीज पर पहुंचाएंगे। पीड़ितों के मामले को बगैर खर्च अदालत में दायर किया जाएगा।
इन मुद्दों पर रहेगा ध्यान
इस अभियान में घरेलू हिंसा की शिकार महिलाएं, बाल यौन शोषण के शिकार बच्चे, बुजुर्ग लोग और महिला अपराध से संबंधित लोगों को मुफ्त कानूनी सहायता दी जाएगी। साथ ही उन्हें न्याय पाने के लिए खड़े होने के लिए प्रेरित भी किया जाएगा। इसके अलावा उन्हें उनके मौलिक अधिकारों के लिए शिक्षित भी किया जाएगा। डालसा के अधिकारी का कहना है कि गांव-देहात में अकसर पीड़ित संसाधनों की कमी के कारण अत्याचार सहने को मजबूर होते हैं। बहुत सारे मामलों में कानून की जानकारी ना होना भी सामान्य से दिखने वाले अपराधों की जड़ होता हैं, जिसे अमूमन लोग अपनी नियति मान लेते हैं। लेकिन, अब ऐसे लोगों को सहायता पहुंचाने का बीड़ा डालसा ने उठाया है।