विधानसभा चुनाव 2022 के लिए मतदान की तिथि नजदीक आने के साथ ही राजनीतिक दलों ने अपने चुनावी अभियान को तेज कर दिया है। अब द्वाराहाट विधानसभा से भी धीरे-धीरे कयासों का कोहरा छटने लगा है। एक मुक्कमल राजनीतिक तस्वीर सामने आने लगी है। लोग अनुमान लगा रहे हैं कि इस बार इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला होगा।
राज्य की पहली विधानसभा चुनाव में उक्रांद के बिपिन त्रिपाठी ने इस सीट का प्रतिनिधित्व किया था। उनके असमय निधन के बाद हुए उपचुनाव और 2007 में पुष्पेश त्रिपाठी ने यह सीट जीती थी। वहीं 2012 में कांग्रेस के मदन बिष्ट और 2017 में यह सीट भाजपा के महेश नेगी के खाते में गई। मौजूदा चुनाव में इस सीट पर रोचक मुकाबला होने की संभावना उभर कर सामने आ रही है।
लोगों का मानना है कि यहां कांग्रेस के मदन बिष्ट, भाजपा के अनिल शाही और उक्रांद के प्रत्याशी पुष्पेश त्रिपाठी के बीच कांटे की टक्कर हो सकती है। इस विधानसभा पर 10 प्रत्याशी भाग्य आजमा रहे हैं। इस बार भाजपा ने अनिल शाही को मैदान में उतारकर बड़ा दांव खेला है। भाजपा में टिकट नहीं मिलने को लेकर नाराजगी भी थी और कैलाश भट्ट ने नामांकन भी कराया था।
लेकिन बाद में संगठन के दबाव में उन्होंने नाम वापस ले लिया। कांगे्रस के प्रत्याशी मदन बिष्ट 2012 में यहां से विधायक रहे। उन्होंने 2007 में जब निर्दलीय चुनाव लड़ा तो वे दिल्ली से आये थे, लेकिन उन्हें 8500 वोट मिले। कांग्रेस के टिकट पर जब वे चुनाव जीते तो उन्हें 14000 मत मिले।
उक्रांद कार्यकर्ताओं की सक्रियता ने बढ़ाई राष्ट्रीय दलों की चिंता
इस चुनाव में उक्रांद कार्यकर्ताओं के तेजी से उभरने से दोनों राष्ट्रीय दलों को असमंज में डाल दिया है। पुष्पेश त्रिपाठी ने अपने सीमित संसाधनों और कार्यकर्ताओं के बल पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। उनके पिता स्व. बिपिन चन्द्र त्रिपाठी उत्तराखण्ड के बड़े नेता रहे हैं। पुष्पेश त्रिपाठी के लिए मदन बिष्ट, अनिल शाही और निर्दलीय भूपाल भंडारी का एक ही क्षेत्र का होना भी लाभप्रद हो सकता। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि मौजूद हालात में यहां त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल सकता है, हालांकि जीत किसकी होगी ये तस्वीर दस मार्च के बाद ही साफ होगी।