फर्जी आरटीपीसीआर रिपोर्ट के चलते इलाज में हुई देरी से इंजीनियर की मौत होने का मामला सामने आया है। प्रशांत विहार थाना पुलिस ने इस मामले में एक डॉक्टर समेत दो लोगों पर शनिवार को ठगी का केस दर्ज किया है। उच्च शिक्षा विभाग में अतिरिक्त उपशिक्षा निदेशक ने अपनी शिकायत में कहा है कि आरोपियों ने फर्जी आरटीपीसीआर रिपोर्ट दी, जिससे उन्होंने अपने पति को खो दिया।
जानकारी के अनुसार, रोहिणी सेक्टर-9 निवासी 57 वर्षीय राजकुमारी देवी ने बताया कि वह अतिरिक्त उपशिक्षा निदेशक के पद पर कार्यरत हैं। उनके पति सुंदर लाल टीपीडीडीएल में मुख्य अभियंता थे। पीड़िता ने बताया कि बीते साल डॉक्टर हेमा के कहने पर उन्होंने आरटीपीसीआर और रक्त जांच कराई। डॉक्टर हेमा की तरफ से भेजे गए देवेंद्र ने 18 अप्रैल को महिला के नमूने और चार हजार रुपये लिए लेकिन इसकी रसीद नहीं दी। फिर रात को व्हाट्सएप पर निगेटिव रिपोर्ट दे दी। दो दिन बाद देवेंद्र ने सुंदरलाल के भी नमूने लिए और रुपये लेकर बाद में रसीद देने की बात कही। देवेंद्र ने 23 अप्रैल को व्हाट्सएप पर डॉक्टर लालचंदानी लैब से निगेटिव रिपोर्ट दे दी। पीड़िता ने बताया कि उन्होंने आईसीएमआर की वेबसाइट पर रिपोर्ट की एसआरएफ आईडी से जांच की तो मालूम हुआ कि रिपोर्ट फर्जी है। इस बीच सुंदरलाल की तबीयत बिगड़ गई, जिससे उन्हें संजय गांधी अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। वहां जांच में मालूम हुआ कि सुंदरलाल को कोविड है। देर से इलाज शुरू होने के कारण सुंदरलाल की हालत खराब होती गई और 30 अप्रैल को उनकी मौत हो गई।
पीड़ित राजकुमारी देवी ने बताया कि अगर रिपोर्ट सही होती तो उनके पति का सही समय पर इलाज शुरू हो सकता था, जिससे उनकी जान बचाई जा सकती थी। पीड़िता की शिकायत पर जांच के बाद संयुक्त पुलिस आयुक्त की स्वीकृति मिलने पर पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली है।