कच्ची शराब की भट्ठियों पर छापेमारी के साथ-साथ नालंदा पुलिस ने जहरीली शराब के गुनहगारों पर शिकंजा और कस दिया है। पुलिस ने गांववालों को मामले में फरार 10 आरोपियों के बारे में लाउडस्पीकर से जानकारी देते हुए अपील की कि उनके बारे में कोई भी जानकारी हो तो पुलिस को सूचित करें। इसके साथ ही पुलिस ने आरोपियों के घरों पर नोटिस भी चस्पा कर दिए। इस बीच मद्य निषेध मंत्री सुनील कुमार ने पिछले दिनों जहरीली शराब से हुई मौतों को लेकर कहा कि इसका शराबबंदी से कोई लेनादेना नहीं है।
यह मुनादी सीआरपीसी की धारा 82 के तहत की गई। यह तब की जाती है जब आरोपी के खिलाफ वारंट की तामील न हो पा रही हो। सीडीपीओ सदर डा. शिबली नोमानी ने बताया-‘अदालत ने इन्हें जहरीली शराब केस में फरार घोषित कर दिया है। यदि वे तुरंत अपने आप को पुलिस के हवाले नहीं करते तो उनकी सम्पत्ति कुर्क कर ली जाएगी।’ 14 जनवरी को जहरीली शराब पीने से 13 लोगों की मौत हो गई थी। पुलिस ने इस मामले में आठ लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया था। ताबड़तोड़ छापामारी के बाद पुलिस सात लोगों सुनीता देवी उर्पु मैडम, मीना देवी, सूरज कुमार, सिंटू कुमार, डिंपल कुमार, संतोष चौधरी और सौरभ कुमार को गिरफ्तार कर चुकी है।
इन आरोपियों ने पूछताछ में मामले में शामिल 11 अन्य लोगों के नाम बताए। इनमें आकाश कुमार, देवानंद कुमार, विकास कुमार, संजय पासवान उर्फ भोमवा, संतोष यादच उर्फ टेंगरा, चंदन पासवान, रंजीत पासवान उर्फ हकला, अंदा चौधरी, जेपी चौधरी और नगीना चौधरी शामिल हैं। पुलिस के मुताबिक ये आरोपी गिरफ्तारी से बचने के लिए घर से भाग गए हैं। उनके खिलाफ गैरजमानती वारंट जारी हो चुका है। मुनादी कराने के अलावा उनके घरों पर नोटिस भी चस्पा किए गए हैं।
नालंदा के एसपी अशोक मिश्रा ने बताया कि पुलिस ने इस मामले में छह एफआईआर दर्ज की हैं। बिहारशरीफ कोर्ट द्वारा नामजद आरोपियों की सम्पत्ति जब्त किए जाने जाने के आदेश के बाद सुनीता का बैंक खाता सीज करा दिया गया है। अभी तक पुलिस इस मामले में सात नामजद आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है। एक फरार आरोपी की सम्पत्ति जब्ती की कार्रवाई भी हो चुकी है।
जहरीली शराब से मौत का शराबबंदी से कोई लेनादेना नहीं : मद्य निषेध मंत्री
मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन मंत्री सुनील कुमार ने पिछले दिनों जहरीली शराब से हुई मौतों को लेकर कहा कि इसका शराबबंदी से कोई लेनादेना नहीं है। बिहार में साल 2016 में शराबंबदी लागू होने से पहले भी जहरीली शराब से कई लोगों की जान गई थी। अन्य प्रदेश जहां शराबबंदी नहीं है वहां भी जहरीली शराब से मौत की घटनाएं सामने आई हैं।
उन्होंने शराबबंदी पर नेताओं द्वारा दिए जा रहे राजनीतिक बयानबाजी पर भी सख्त ऐतराज जताया। सचिवालय स्थित सभागार में सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश, पंजाब, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, ओडिशा समेत कई राज्य जहां शराबबंदी नहीं है, वहां पर भी जहरीली शराब से मौत की घटनाएं हुई हैं। कनार्टक में तो वर्ष 2008 में 345 लोगों की मौत जहरीली शराब पीने की वजह से हुई थी। वहीं यूपी में वर्ष 2019 में 99 और पंजाब में वर्ष 2020 में 112 लोगों की जान जहरीली शराब की वजह से गई। हाल में ही यूपी के रायबरेली में कई लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। मंत्री ने कहा कि जहरीली शराब से मौत के पीछे आर्थिक कारण हैं। मंत्री ने सोमवार को स्पष्ट तौर पर कहा कि शराबबंदी कानून में संशोधन पर काम चल रहा है। इसे पहले से और बेहतर कैसे बनाया जाए, इसपर सरकार मंथन कर रही है।
शराबबंदी से पहले जहरीली शराब से 99 की मौत
मंत्री ने वर्ष 2016 से पहले राज्य में जहरीली शराब से हुई मौत का आंकड़ा भी बताया। कहा कि शराबबंदी से पहले कटिहार में 33, भोजपुर में 21, गोपालगंज में 18, गया में 12, सारण में 6, मोतिहारी में 5 और कैमूर में 4 लोगों की जहरीली शराब से मौत हुई थी। यह स्थिति तब थी, जब हर जगह लाइसेंसी दुकानें खुली थीं।