दिल्ली पुलिस की इंटेलीजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक ऑपरेशन्स (आईएफएसओ) यूनिट ने एक ऐसे गैंग का भंडाफोड़ किया है, जो कोविड 19 वैक्सीन के बूस्टर डोज लगाने के नाम पर लोगों के वॉट्स एप को हैक कर ठगी करता था। इस मामले में पुलिस ने आगरा से 3 लोगों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार आरोपियों में गिरोह का सरगना मनीष कुमार (37), रोहित सिंह (35) और कौशलेंद्र सिंह तोमर (25) शामिल हैं।
शुरुआती जांच के बाद पता चला है कि आरोपियों ने देशभर के सैकड़ों लोगों से ठगी की है। हालांकि अभी इस गिरोह द्वारा 24 लोगों से ठगी किए जाने का खुलासा हुआ है। जबकि इनसे पूछताछ कर आगे की जांच की जा रही है। गिरफ्तार आरोपियों में कौशलेंद्र बीकॉम करने के बाद आगरा से एमबीए कर रहा है। वहीं रोहित सिंह ने बीए कर रखा है। जबकि गैंग सरगना मनीष कुमार महज 12वीं कक्षा पास है। जल्द रुपये कमाने के लिए मनीष ने ठगी का धंधा शुरू किया था। उसने रोहित व कौशलेंद्र को अपने साथ मिला लिया। पुलिस तीनों से पूछताछ कर इनके पूरे नेटवर्क को खंगाल रही है।
छह मोबाइल, चार डेबिट कार्ड, आठ बैंक अकाउंट का खुलासा
पुलिस ने आरोपियों के पास से छह मोबाइल फोन, चार डेबिट कार्ड के अलावा आठ बैंक अकाउंट का पता किया है। पुलिस के मुताबिक आरोपी पीड़ितों के व्हाट्सएप को हैक करने के बाद उनकी संपर्क सूची के लोगों को मैसेज भेजकर इमरजेंसी हो जाने की बात कर रुपये मांगते थे। चूंकि रुपये पीड़ित के ही व्हाट्सएप नंबर से मांगे जाते थे तो ऐसे में जानकार लोग तुरंत बताए गए खातों में रुपये ट्रांसफर कर दिया करते थे।
ऐसे झांसे में लेते थे जालसाज
आईएफएसओ के डीसीपी केपीएस मल्होत्रा ने बताया कि पिछले दिनों करोल बाग निवासी एक शख्स ने ठगी की शिकायत उनकी यूनिट से की थी। पीड़ित ने बताया कि पिछले दिनों उसके मोबाइल पर अज्ञात नंबर से कॉल आई। कॉलर ने खुद को डॉक्टर बताकर पीड़ित से कोविड वैक्सीन के बारे में पूछताछ की। पीड़ित ने दोनों डोज लगने की बात की तो आरोपी ने बताया कि बूस्टर डोज के लिए उनका नंबर आ गया है। आपके नंबर पर एक अन्य नंबर से कॉल आएगा। उस कॉल को कांफ्रेंस कॉल में लेकर एक नंबर को बताना होगा। इसके बाद आपके नजदीकी सेंटर पर बूस्टर डोज लगाने की तारीख दे दी जाएगी। इसके बाद पीड़ित भी आरोपियों के झांसे में आ गया और उसे चूना लगा दिया गया।
ऐसे ठगी करते थे जालसाज
दरअसल कॉल के दौरान ही दूसरे नंबर से कॉल आई, जिसके बाद उसे कांफ्रेंस पर लेकर गूगल से आए कोड को पीड़ित ने आरोपियों से सांझा कर लिया। इसके बाद आरोपियों ने उसके व्हाट्सएप को हैक कर लिया। पीड़ित के दोस्तों, रिश्तेदारों व अन्य लोगों को उसके ही व्हाट्सएप से मैसेज कर मेडिकल इमरजेंसी बताकर रुपयों की मांग की गई। खुद पीड़ित के भाई ने बताए गए नंबर में 50 हजार रुपये ट्रांसफर कर दिए। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच आरंभ की तो पता चला कि इसी तरह की 20 और शिकायतें विभाग को मिली हैं।
ऐसे दबोचे गए जालसाज
तत्काल एक टीम का गठन कर उसे जांच में लगाया गया। टेक्निकल सविलांस के अलावा जिन खातों में रुपये ट्रांसफर हुए उनकी जांच की गई। जांच के दौरान पता चला कि कॉलर आगरा में मौजूद है। पुलिस ने उसकी पहचान मनीष कुमार के रूप में की। एक टीम आगरा पहुंची जहां से मनीष कुमार को दबोचा गया। उसकी निशानदेही पर पुलिस ने उसके दो और साथी रोहित व कौशलेंद्र सिंह तोमर को दबोच लिया। पूछताछ के दौरान आरोपियों ने ठगी की वारदात को कबूल कर लिया।
यू-ट्यूब से सीखा फर्जीवाड़ा
पूछताछ में गैंग सरगना मनीष कुमार ने यह खुलासा किया कि करीब एक साल पूर्व उसने यू-ट्यूब से व्हाट्सएप को हैक करना सीखा था। वह अलग समय में अलग-अलग तरह से ठगी करता था। इन दिनों वह कोविड के नाम पर आसानी से लोगों को ठगा जा सकता था। वह लोगों को बूस्टर डोज दिलाने के नाम पर उनके साथ ठगी करता था। कॉल करने के दौरान आरोपी दूसरे नंबर को कांफ्रेंस कॉल में लेकर जाल में फंसा गूगल पर व्हाट्सएप नंबर बदलने के लिए कोड मंगाते थे और कोड पता चलते ही व्हाट्सएप हैक कर लेते थे।