फरीदाबाद के अरावली स्थित एक परीक्षा केंद्र में दूसरे परीक्षार्थी को बैठाकर एक युवक सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया में मैनेजर बन गया। नियुक्ति पाने के करीब पांच साल बाद किसी व्यक्ति ने इसकी शिकायत बैंक को भेज दी। शिकायत में सामने आया कि इस अवैध तरीके से नौकरी हासिल करने के लिए उसने 15 लाख रुपये का भुगतान किया था। इस फर्जीवाड़ा के उजागर होने से परीक्षा नियंत्रक के प्रबंधन और पर्यवेक्षकों पर भी सवाल खड़े हो गए हैं। सूरजकुंड थाना पुलिस ने इस संबंध में धोखाधड़ी का मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया दिल्ली (मध्य) के क्षेत्रीय प्रबंधक डॉ. हिमांशु गुप्ता ने पुलिस को दी शिकायत में बताया कि आलोक कुमार निवासी वभान टोली, ग्राम अंचल-तिलौथू जिला-रोहतास, बिहार ने आईबीपीएस (बैंकिंग कार्मिक चयन संस्थान) में परिवीक्षाधीन अधिकारी (PO) के पद के लिए आवेदन किया था। 20 अक्टूबर 2013 को सूरजकुंड रोड स्थित मानव रचना विश्वविद्यालय में लिखित परीक्षा हुई थी।
आरोप है कि इस परीक्षा में आलोक ने खुद न बैठकर किसी दूसरे उम्मीदवार को अपनी जगह बैठा दिया। लिखित परीक्षा के बाद आईबीपीएस ने आलोक कुमार को नोएडा सेक्टर-62 में साक्षात्कार के लिए बुलाया था। वहां उसका चयन कर लिया गया। सेंट्रल बैंक ऑफिसर्स ट्रेनिंग कॉलेज कोलकाता से ट्रेनिंग होने के बाद प्रबंधक के रूप में उसकी तैनाती पाटनचेरु शाखा (हैदराबाद) में कर दी गई।
वर्ष 2018 में शिकायतकर्ता बैंक के वाराणसी क्षेत्र के तहत रॉबर्ट्सगंज शाखा के अनुरोध पर उसका ट्रांसफर कर दिया गया। बाद में 2020 में उसे भी प्रमोशन मिल गया और मैनेजर के रूप में निगोह (यूपी) शाखा में तैनात कर दिया गया। जब इस संबंध में सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया दिल्ली (मध्य) के क्षेत्रीय प्रबंधक डॉ. हिमांशु गुप्ता से संपर्क किया गया तो उन्होंने में बैठक में होने का हवाला देकर बाद में पक्ष रखने की बात कही।
अज्ञात व्यक्ति की शिकायत से खुला राज
एक मार्च 2019 को अज्ञात व्यक्ति ने बैंक को शिकायत देकर आरोपी आलोक कुमार पर अनुचित अवैध तरीकों से अपनी नौकरी हासिल करने का आरोप लगाया था। उस शिकायत में यह भी बताया गया था कि उसके स्थान पर परीक्षा में कोई अन्य व्यक्ति बैठा था। इस अपराध के लिए आलोक कुमार ने 15 लाख रुपये का भुगतान किया था।
फोरेंसिंक लैब में हस्ताक्षर की कराई सत्यता की जांच
बैंक द्वारा हस्ताक्षर की सत्यता की जांच लखनऊ स्थित फोरेंसिक लैब और रामनगर वाराणसी स्थित फोरेंसिक लैब में कराई गई। दोनों फोरेंसिक लैब ने मामले की जांच की। बैंक को सूचित किया कि लिखित परीक्षा के समय अंकित अंगूठे का निशान आरोपी से भिन्न है।
”बैंक की ओर से शिकायत मिली है। मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है। यूनिवर्सिटी में जाकर भी इस बारे में पता लगाया जाएगा।”- सोहनलाल, थाना प्रभारी, सूरजकुंड
कारण बताओ नोटिस किया जारी
30 जुलाई 2021 को बैंक की ओर से कारण बताओ नोटिस जारी किया, लेकिन नोटिस का जवाब देने के लिए और समय मांगा। आरोप है कि अभियुक्त व्यक्तियों ने जानबूझकर अपने दुर्भावनापूर्ण इरादों के साथ और एक दूसरे के साथ मिलीभगत से धोखाधड़ी का अपराध किया है। सूरजकुंड थाना पुलिस ने विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।