उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए उम्मीदवारों का चयन करते हुए इस बार भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और समाजवादी पार्टी (सपा) ने जातिगत समीकरणों का विशेष ध्यान रखा है। बीजेपी की तरह ही सपा ने बड़ी संख्या में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से आने वाले प्रत्याशियों को टिकट दिया है। सपा की पहली लिस्ट में घोषित 159 उम्मीदवारों में से 66 ओबीसी हैं। ओबीसी के अलावा पार्टी ने सवर्ण, मुस्लिम और दलित उम्मीदवार भी उतारे हैं। पहले के मुकाबले पार्टी ने इस बार मुस्लिम-यादव उम्मीदवार कम उतारे हैं।
समाजवादी पार्टी की पहली सूची में अखिलेश यादव का भी नाम है जो करहल से चुनाव लड़ेंगे। अखिलेश के अलावा उनके चाचा शिवपाल यादव का नाम भी इसी सूची में है। शिवपाल साइकिल चुनाव चिह्न पर जसवंत नगर से मैदान में उतरेंगे। समाजवादी पार्टी की सूची के विश्लेषण से पता चलता है कि पार्टी ने 31 सवर्णों को टिकट दिया है तो 31 मुस्लिम, 66 ओबसी, 31 दलित और 12 महिलाओं को उम्मीदवार बनाया गया है।
बीजेपी ने 196 उम्मीदवारों के ऐलान में 76 ओबीसी उम्मीदवार उतारे हैं। पार्टी ने 24 ब्राह्मण, 34 ठाकुर, 38 दलित, 13 वैश्य और 11 अन्य जातियों के उम्मीदवारों पर भरोसा जता है, जिनमें पंजाबी, वैश और त्यागी शामिल हैं। सपा के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ रही जयंत चौधरी की अगुआई वाली पार्टी राष्ट्रीय लोकदल ने 33 उम्मीदवारों की सूची जारी की है, जिसमें 14 पिछड़ी जाति के हैं, 10 जाट, 5 मुस्लिम, 3 ब्राह्मण, 3 गुर्जर, 2 क्षत्रिय, 1 सैनी और 1 वैश हैं।
दरअसल, इस चुनाव में जातिगत समीकरण बेहद महत्वपूर्ण हो गया है। जिस तरह बीजेपी और सपा ने बड़ी संख्या में ओबीसी उम्मीदवार उतारे हैं, इससे साफ है कि दोनों ही दल पिछड़े वर्ग के मतदाताओं को अपनी ओर लाने का प्रयास कर रहे हैं। इस प्रयास के तहत सपा ने योगी सरकार में मंत्री रहे स्वामी प्रसाद मौर्य, दारा सिंह चौहान और धर्मपाल सैनी सहित कई विधायकों को अपने पाले में किया तो बीजेपी ने भी दूसरे दलों से कई नेताओं को पार्टी में शामिल किया है। एक दिन पहले ही कांग्रेस के बड़े नेता आरपीएन सिंह ने भगवा दल की सदस्यता ली है।