विधानसभा चुनाव में लाभार्थी ‘फैक्टर’ एक बार फिर कसौटी पर है। सत्तारूढ़ दल की ताकत माने वाले इस ‘फैक्टर’ का मुकाबला करने के लिए विपक्षी दल बड़ी-बड़ी लोक लुभावनी घोषणाएं कर रहे हैं। अब देखना होगा कि चुनाव में किसका पलड़ा भारी पड़ता है।
राजनीतिक विश्लेषक दोनों पहलुओं का आकलन करने में जुटे हैं। सपा समेत सभी विपक्षी दलों का आरोप है कि सरकार ने पिछली योजनाओं का आगे बढ़ाया है और कोई विकास नहीं हुआ लेकिन भाजपा का दावा है कि गांव-गरीब को सीधे लाभ पहुंचाने की कोशिश की गई।
भाजपा कर रही है लाभार्थियों से संपर्क
भाजपा लाभार्थियों को अपनी ताकत मानती है। भाजपा के नेता चुनाव प्रचार में न सिर्फ इस मुद्दे पर खासा जोर देते हैं बल्कि लाभार्थियों से संपर्क के अभियानों से जरिए विरोधियों को अपनी ताकत का संदेश देने की कोशिश भी करते हैं। पिछले कुछ चुनावों से ऐसी योजनाओं को बड़ा चुनावी अस्त्रत्त् माना जाने लगा है। आवास, शौचालय, गैस सिलिंडर, सस्ता कर्ज, स्वास्थ्य बीमा और किसान सम्मान निधि जैसी योजनाएं राजनीति विज्ञानियों के शोध का विषय हैं।
सपा कर रही लोक-लुभावनी घोषणाएं
सपा 300 यूनिट फ्री बिजली देने, राशन के साथ फ्री में घी देने, पुरानी पेंशन बहाल करने, वित्त विहीन शिक्षकों को मानदेय देने, आईटी सेक्टर में 22 लाख रोजगार देने और समाजवादी पेंशन देने जैसी घोषणाओं से मतदाताओं को लुभाने की कोशिश कर रही है।
कांग्रेस ने किया 20 लाख रोजगार का वादा
कांग्रेस महिला सशक्तीकरण और रोजगार के मुद्दे पर बड़ी-बड़ी घोषणाएं करके चुनाव मैदान में आ रही है। कांग्रेस ने हर साल 20 लाख रोजगार और उसमें महिलाओं को 20 फीसदी आरक्षण देने का वादा किया है। आप ने भी किसानों, युवाओं व महिलाओं को केंद्रित करके कई बड़ी घोषणाएं की है।
भाजपा झूठे दावे कर जनता को गुमराह कर रही है। सच्चाई तो यह है कि भाजपा कोई नया विकास कार्य भी नहीं कर सकी। उसने सिर्फ अखिलेश सरकार के विकास कार्यों का श्रेय लिया है। हर काम में भाजपा सरकार ने अपना स्टिकर लगाने का काम किया है।
फखरूल हसन चांद, प्रदेश प्रवक्ता सपा
लाभार्थी वोटबैंक के रूप में उतनी अहम भूमिका में नहीं होता है जितना कि वातावरण निर्माण में। अब यह सत्तारूढ़ दल के कौशल पर निर्भर करता है कि वह लाभार्थियों का कितना उपयोग कर पाती है।
डॉ. सत्येंद्र कुमार दुबे,राजनीतिक विश्लेषक
सियासी दलों ने भाजपा की लाभार्थी योजनाएं देखकर ही लोक-लुभावनी योजनाओं की घोषणा की है। हालात यह थी कि सपा ने वर्ष 2014 से 2017 ाीएम आवास योजना के मकानों और शौचालयों के निर्माण में एक अप्रत्यक्ष रूप से अड़ंगा लगाया।