दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) और दिल्ली के जामिया इलाके में शरजील इमाम द्वारा दिए गए कथित भड़काऊ भाषणों के संबंध में शरजील इमाम के खिलाफ देशद्रोह के तहत आरोप तय करने के आदेश दिए। कोर्ट ने कथित भड़काऊ भाषणों से संबंधित एफआईआर 22 में शरजील इमाम के खिलाफ आरोप तय किए। इमाम के खिलाफ दो समूहों के खिलाफ दुश्मनी को बढ़ावा देने, दुश्मनी भड़काने और देशद्रोह से संबंधित धाराओं के तहत आरोप तय किए गए।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने सोमवार को यह आदेश पारित किया। अदालत ने पहले अभियोजन और इमाम के बचाव पक्ष के वकील दोनों को सुनने के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया था। शरजील इमाम पर 13 दिसंबर, 2019 को दिल्ली के जामिया इलाके में और 16 दिसंबर, 2019 को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में कथित भड़काऊ भाषण देने का आरोप लगाया गया था।
इमाम के खिलाफ देशद्रोह और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के अन्य आरोपों के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी। वर्तमान एफआईआर धारा 124ए, 153ए, 153बी,505 के तहत दर्ज की गई थी। अभियोजन ने अदालत को सूचित किया कि इमाम ने यह कहकर भीड़ को भड़काने का प्रयास किया था कि ‘जनता के गुस्से को अच्छे तरीके से भुनाने की जरूरत है’।
दिसंबर 2019 में अपने वायरल वीडियो के लिए सुर्खियों में आए शरजील इमाम पर नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के खिलाफ हिंसक विरोध प्रदर्शन से संबंधित विभिन्न मामलों में एक आरोपी के रूप में मामला दर्ज किया गया था। उन्हें जनवरी 2020 में उनके भड़काऊ भाषणों के लिए देशद्रोह से जुड़े एक अन्य मामले में गिरफ्तार किया गया था, जिसमें उनकी “भारत से असम को काट दो” टिप्पणी से विवाद खड़ा कर दिया था।
उत्तर-पूर्वी दिल्ली हिंसा को लेकर 750 से अधिक मामले दर्ज किए गए, जिसमें कम से कम 53 लोग मारे गए और कई अन्य घायल हो गए। दंगों से जुड़े मामलों में अब तक 250 से ज्यादा चार्जशीट दाखिल की जा चुकी हैं, जिसमें 1,153 आरोपियों को चार्जशीट किया गया है।