जर्मनी की नई गठबंधन सरकार हर साल विदेशों से चार लाख कुशल श्रमिकों को अपने देश में आकर्षित करना चाहती है. ऐसा कर वह प्रमुख क्षेत्रों में जनसांख्यिकीय असंतुलन और श्रम की कमी दोनों से निपटना चाहती है.गठबंधन सरकार में शामिल फ्री डेमोक्रेट्स (एफडीपी) के संसदीय दल के नेता क्रिस्टियान डुइर ने बिजनेस पत्रिका विर्टशॉफ्ट्स वोखे से कहा, “कुशल श्रमिकों की कमी अब तक इतनी गंभीर हो गई है कि यह नाटकीय रूप से हमारी अर्थव्यवस्था को धीमा कर रही है,” डुइर ने आगे कहा, “हम एक आधुनिक आव्रजन नीति के साथ सिर्फ एक बूढ़े होते कार्यबल की समस्या को नियंत्रित कर सकते हैं. हमें विदेशों से चार लाख कुशल श्रमिकों के निशान तक जल्द से जल्द पहुंचना होगा” बूढ़े होते कर्मचारी चांसलर ओलाफ शॉल्त्स की एसपीडी, डुइर की उदारवादी एफडीपी और पर्यावरण को अपने एजेंडे पर रखने वाली ग्रीन पार्टी ने यूरोपीय संघ के बाहर के देशों के कुशल श्रमिकों के लिए एक अंक प्रणाली जैसे उपायों पर अपने गठबंधन कॉन्ट्रैक्ट में सहमति जाहिर की है और जर्मनी में काम करने को और अधिक आकर्षक बनाने के लिए राष्ट्रीय न्यूनतम वेतन को 12 यूरो प्रति घंटे तक बढ़ाया है. जर्मन आर्थिक संस्थान का अनुमान है कि इस साल श्रम बल में तीन लाख से अधिक लोगों की कमी आएगी, क्योंकि श्रम बाजार में नए युवाओं के आने की तुलना में अधिक बूढ़े कर्मचारी रिटायर हो रहे हैं. यह अंतर 2029 में साढ़े छह लाख से अधिक होने की उम्मीद है
जिससे 2030 में कामकाजी उम्र के लोगों की संचित कमी लगभग 50 लाख हो जएगी. कोरोना वायरस महामारी के बावजूद पिछले साल रोजगार में जर्मनों की संख्या बढ़कर लगभग 4.5 करोड़ हो गई. दशकों से कम होती जन्म दर और असमान प्रवासन के बाद से ही सिकुड़ती हुई श्रम शक्ति जर्मनी की सार्वजनिक पेंशन प्रणाली के लिए एक जनसांख्यिकीय संकट खड़ा कर रही है. एए/सीके (रॉयटर्स)