मंत्री नहीं बनाए जाने से नाराज चल रहे सीएम सलाहकार विधायक संयम लोढ़ा का दर्द जुबां पर आ गया है। सीएम सलाहकार का हाल ही में किया गया एक ट्वीट राज्य के सियासी गलियारों में चर्चा का कारण बना हुआ है। विधायक संयम लोढ़ा ने ट्वीट कर बगावत करने वालों को मंत्री बनाने पर इशारों ही इशारों में कटाक्ष किया है। गहलोत कैंप के माने जाने वाले विधायक संयम लोढ़ा को मत्रिमंडल फेरबदल में जगह नहीं मिल पाई थी। सिरोही से निर्दलीय चुनाव जीते विधायक संयम लोढ़ा की नाराजगी दूर करने के लिए सीएम अशोक गहलोत ने सीएम सलाहकार बना दिया। लेकिन सीएम सलाहकार के पास मंत्रियों जैसी प्रशासनिक पावर नहीं है। विधायक संयम लोढ़ा के ट्वीट से ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है।
पायलट कैंप के दखल से नहीं बन पाए मंत्री
सीएम गहलोत के सलाहकार एवं विधायक संयम लोढ़ा ने ट्वीट किया है- चाहने वालों को नहीं मिलते चाहने वाले, मैंने हर दगाबाज के साथ महबूब देखे हैं। विधायक संयम लोढ़ा गहलोत सरकार को समर्थन दे रहे हैं। विधायक ने इस ट्वीट में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी, महासचिव प्रियंका गांधी, रणदीप सुरजेवाला, संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल और प्रदेश प्रभारी अजय माकन को टैग किया है। विधायक लोढ़ा के इस ट्वीट से साफ है कि उनके मन में सरकार गिरने बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के बावजूद मंत्री नहीं बनाया गया। सरकार के खिलाफ बगावत करने वालों को मंत्री पद से नवाज दिया गया। विधायक के ट्वीट से लगता है भले ही कैबिनेट का फेरबदल हो गया हो लेकिन सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। दरअसल, पायलट कैंप के दखल के बाद एक भी निर्दलीय विधायक को मंत्री नहीं बनाया गया। जबकि निर्दलीय विधायकों ने गहलोत सरकार बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
सिर्फ नाम मात्र के सीएम सलाहकार
कैबिनेट में फेरबदल में मंत्री नहीं बनाने पर सीएम गहलोत ने विधायक रामकेश मीणा, संयम लोढ़ा, दानिश अबरार, जितेंद्र सिंह और राजकुमार शर्मा को सीएम सलाहकार के पद से नवाजा। सीएम सलाहकार सुनने और कहने में भले अच्छा लगे लेकिन सीएम सलाहकारों के पास मंत्रियों जैसी प्रशासनिक पावर नहीं है। ये सिर्फ नाम मात्र के सलाहकार है। क्योंकि एक विधायक के तौर पर सीएम को सलाह तो दे सकते हैं। लेकिन सरकारी योजनाओं को लागू करने में मंत्रियों को मिलने वाली प्रशासनिक शक्तियां इनके पास नहीं है। सीएम सलाहकार पद का न तो सांविधानिक और ना ही कानूनी अस्तित्व है। सीएम का सलाकार होने के बावजूद इन विधायकों के पास प्रशासनिक अधिकार मंत्रियों जैसे नहीं है। सीएम अशोक गहलोत खुद बोल चुके हैं सीएम सलाहकार का पद अवैतनिक है। कानूनी तौर पर सीएम सलाहकार पद का कोई अस्तित्व नहीं है। सीएम सलाहकारों को अलग से कोई वेतन भत्ता नहीं दिया जाएगा। दरअसल, भाजपा ने सीएम सलाहकार पद नियुक्ति को कोर्ट में चुनौती देने की तैयारी कर ली थी। सरकार ने इसके लिए बीच का रास्ता निकाल लिया। अवैतनिक होने के कारण भाजपा की योजना धरी की धरी रह गई।