गाजियाबाद स्थित स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने नोएडा के निठारी कांड से जुड़े हत्या के एक और मामले में सुरेंद्र कोली को बरी कर दिया। कोली पर साढ़े तीन साल के मासूम को अगवा कर कुकर्म के बाद हत्या और शव नाले में छिपाने का आरोप था। अदालत ने पुख्ता साक्ष्य के अभाव में सुरेंद्र कोली को दोषमुक्त ठहराया।
सीबीआई के विशेष न्यायाधीश राकेश त्रिपाठी की अदालत में गुरुवार को निठारी कांड के 15वें मामले में अंतिम सुनवाई हुई। कोली पर नोएडा के सेक्टर 31 के जलकल कंपाउंड के बाहर से 23 फरवरी 2006 की शाम साढ़े तीन साल के बच्चे के अपहरण कर हत्या करने का आरोप था। अगले दिन बच्चे के पिता ने नोएडा के सेक्टर-20 थाने में अज्ञात के खिलाफ बेटे के अपहरण का मुकदमा कराया था। पुलिस ने छानबीन शुरू की। उस दौरान निठारी गांव से लगातार बच्चे-बच्चियों के गायब होने के मामले सामने आए थे।
पुलिस ने मुखबिर की सूचना पर 29 दिसंबर 2006 को सेक्टर 31 के कोठी नंबर डी-पांच के नौकर सुरेंद्र कोली को गिरफ्तार कर लिया। उसके बाद में कोठी मालिक मोनिंदर सिंह पंढेर को भी पुलिस ने गिरफ्तार किया था। सभी केसों को सीबीआई के हवाले कर दिया गया था। पुलिस ने सुरेंद्र कोली को गिरफ्तार कर गायब बच्चों के बारे में पूछताछ की तो उसने काफी राज उगले। इसी आधार पर कोठी के सामने के नालों में तलाशी ली तो कई के कंकाल, कपड़े, बालों के गुच्छे और जूते-चप्पल बरामद हुए।
पुलिस के बुलावे पर बच्चे के पिता ने बरामद एक चप्पल से बेटे की हत्या होने की बात कही। सीबीआई ने अपहरण कर कुकर्म के बाद हत्या कर शव छिपाने का मुकदमा कर विवेचना शुरू की थी। साल 2009 में दाखिल आरोप पत्र में सीबीआई ने सिर्फ सुरेंद्र कोली को सभी मामलों में आरोपी बनाकर आरोप पत्र पेश किया था। इस मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से कुल 32 गवाह पेश किए गए। विशेष अदालत ने गुरुवार के कोली के 15 वें मामले में अगवा कर हत्या, कुकर्म और साक्ष्य छिपाने के सभी आरोपों से बरी करने के आदेश दिए।