वेस्ट यूपी के सहारनपुर को बसपा का गढ़ कहा जाता है। खास बात यह है कि यहां की हरौड़ा सीट से चुनाव लड़कर दो बार मायावती ने सूबे की बागडोर संभाली। आज भी लोग उस दौर को याद करते हैं।
बसपा सुप्रीमो मायावती लिए 90 का दशक खासा संघर्षपूर्ण था। उनकी इच्छा सूबे की मुख्यमंत्री बनना था। इसके लिए विधान सभा का चुनाव लड़ना नैतिक जिम्मेदारी थी। मायावती चाहती थीं कि वह चुनाव प्रचार में व्यस्त रहेंगी, इसलिए कोई ऐसी सीट मिले जिसे सुरक्षित माना जाए। इसके लिए मायावती ने सहारनपुर की ओर रुख किया। सहारनपुर दलित बाहुल्य जिला है। उसमें उन्होंने हरौड़ा विधान सभा सीट चुनी। मायावती ने कुछ संशय और आशंकाओं के साथ हरौड़ा सीट से दावेदारी ठोक दी।
वर्ष 2002 में फिर बनीं विधायक
बसपा सुप्रीमो मायावती ने 15 साल के लंबे इंतजार के बाद वर्ष 2002 में फिर सहारनपुर का रुख किया। हरौड़ा विधान सभा सीट से एक बार फिर सियासी जंग में ताल ठोक दी। दूसरी बार भी हरौड़ा के मतदाताओं ने मायावती को भारी बहुमत से जिता कर विधानसभा में भेजा। उन्हें 70,800 वोट मिले थे। जबकि उनकी मुख्य प्रतिद्वंदी रहीं सपा की विमला राकेश को 41,899 मत मिले। खास बात यह है कि दूसरी बार भी विधायक बनकर मायावती सूबे की मुख्यमंत्री बनीं।
2017 में बसपा को लगा झटका
सहारनपुर बसपा सुप्रीमो का गढ़ माना जाता है। लेकिन वर्ष 2017 में भाजपा की लहर में बसपा का यह गढ़ ढह गया। इस चुनाव में जिले की सात सीटों में से एक पर भी बसपा नहीं जीत पाईं।