ताइवान ने एक साल में पहली बार चीनी नागरिकों को निर्वासित करना शुरू किया है। अधिकारियों ने गुरुवार को कहा कि तनाव बढ़ने के साथ लंबे समय बाद ऐसा माहौल देखा गया है जब दोनों पक्ष एक दूसरे का सहयोग कर रहे हैं। अभी कुछ समय पहले चीन ने एक ताइवानी भगोड़े को वापस ताइवान को सौंपा था। इसी क्रम में अब ताइवान चीनी भगौड़ों को वापस चीन भेज रहा है।
2009 से चली आ रही है प्रक्रिया
गौरतलब है कि दोनों पक्षों की पुलिस नियमित रूप से 2009 के समझौते के तहत भगोड़ों को उनके संबंधित क्षेत्रों में लौटा देती है, लेकिन ताइवान को एक संप्रभु राष्ट्र के रूप में मानने वाली राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन के 2016 में सत्ता में आने के बाद से ये निर्वासन प्रक्रिया बेहद दुर्लभ हो गई है। चीन स्व-शासित द्वीप ताइवान को अपना हिस्सा मानता है। हालांकि उसने ताइवान के साथ आधिकारिक संपर्क बंद कर दिया है और त्साई के पदभार संभालने के बाद से ताइपे पर दबाव बढ़ा रहा है।
वापस भेजे जाएंगे 21 चीनी नागरिक
लेकिन गुरुवार को नेशनल इमिग्रेशन एजेंसी ने कहा कि ताइवान में अवैध रूप से प्रवेश करने वाले 21 चीनी नागरिक निर्वासन सूची में थे। इसने “सुचारु और सुरक्षित संचालन सुनिश्चित करने” के लिए अतिरिक्त विवरण प्रदान करने से इनकार कर दिया। स्थानीय समाचार आउटलेट यूनाइटेड डेली न्यूज ने बताया कि बुधवार से शुरू होने वाली निर्वासन प्रक्रिया में चार समूहों में चीनी नागरिकों को बाहर निकालने के लिए निर्धारित किया गया था। लौटने वालों में से एक वह व्यक्ति था जो पिछले मई में एक रबर डोंगी में ताइवान जल क्षेत्र को पार करने में कामयाब रहा। ताइवान की सरकार ने कहा कि नवीनतम निर्वासन नवंबर 2020 के बाद पहली बार है क्योंकि यात्रा कोरोना वायरस महामारी से बाधित थी।
…तब अच्छे थे चीन-ताइवान के संबंध!
चीन से संबंधित मामले देखने वाली ताइवान की शीर्ष संस्था मेनलैंड अफेयर्स काउंसिल ने कहा, “प्रक्रिया … दोनों पक्षों के बीच सामान्य और व्यवस्थित आदान-प्रदान के लिए सकारात्मक माहौल को दिखाती है।” ताइवान की ओर से निर्वासन की घोषणा चीन द्वारा पिछले महीने 2009 के समझौते के तहत एक ताइवानी हत्या के संदिग्ध को वापस करने के बाद हुई। 2009 में ये संधि तब हुई थी जब ताइवान की तत्कालीन बीजिंग-अनुकूल सरकार के साथ चीन के अच्छे संबंध थे।