श्रीलंका अपने आर्थिक संकट को लेकर पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बना हुआ है। हाल के समय में कोरोना महामारी के बाद श्रीलंका में भारी आर्थिक संकट गहराया हुआ है। एक तरफ वहां महंगाई बढ़ रही है और लोग परेशान हैं तो दूसरी तरफ श्रीलंका सरकार चीन से भारी उधारी के कारण बढ़ते कर्ज से जूझ रही है। हालत यह हो गई कि श्रीलंका एक राष्ट्र के तौर पर दिवालिया होने की कगार पर पहुंच गया है। इन सबके बीच श्रीलंका में भारतीय हितों को देखते हुए एक्सपर्ट्स का मानना है कि श्रीलंका की स्थित अगर और बदतर हुई तो अपने भारी कर्ज के चलते श्रीलंका में नीतियों को लेकर चीन अधिक मनमानी करेगा जो भारत के लिए खतरनाक हो सकता है।
दरअसल, श्रीलंका की अर्थव्यवस्था की सबसे बड़ी समस्या वहां बढ़ती महंगाई, खाद्यान्न संकट और विदेशी मुद्रा की कमी है। नवंबर 2019 में राजपक्षे के पदभार संभालने के समय देश में विदेशी मुदा भंडार 7.5 बिलियन डॉलर था, लेकिन 2021 के अंत तक विदेशी मुद्रा भंडार गिरकर 2.5 बिलियन डॉलर ही रह गया था। इस वजह से विदेशी कर्ज चुकाने के बारे में श्रीलंका की चिंता बढ़ गई। श्रीलंका पर चीन का पांच अरब डॉलर से ज्यादा का कर्ज है। पिछले साल श्रीलंका ने आर्थिक संकट से बचने के लिए एक अरब डॉलर का कर्ज और लिया था।
चीन के अलावा श्रीलंका पर जापान और भारत का भी कर्ज है। इस साल के लिए कुल बकाया 6.9 अरब अमेरिकी डॉलर होगा। लेकिन चीन के कर्जे की हालत यह है कि श्रीलंका को हंबनटोटा पोर्ट चीन को कर्ज नहीं चुका पाने के बदले में ही 100 साल की लीज पर देना पड़ा था। श्रीलंका को हंबनटोटा पोर्ट के साथ 15000 एकड़ जमीन भी सौंपनी पड़ी थी। श्रीलंका ने चीन को जो इलाका सौंपा है, वो भारत से सिर्फ 100 मील की दूरी पर है। भारत के लिए इसे सामरिक रूप से खतरा बताया जा रहा है और यही कारण है कि यह भारत के लिए खतरनाक हो सकता है।
हालांकि पिछले दिनों श्रीलंका के वित्त मंत्री बासिल राजपक्षे की भारत यात्रा के बाद भारत श्रीलंका को तत्काल मदद के लिए काम कर रहा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत श्रीलंका को आर्थिक संकट से निपटने के उपाय पर एक पैकेज पर काम कर रहा है। इकॉनोमिक टाइम्स में छपी रिपोर्ट के मुताबिक भारत से एनर्जी सिक्यूरिटी पैकेज और करेंसी स्वैप के साथ-साथ तत्काल आधार पर श्रीलंका में फूड और हेल्थ सिक्यूरिटी पैकेज का विस्तार करने और भारतीय निवेश को आगे बढ़ाने की उम्मीद है।
इन सबके अलावा कोरोना के चलते पर्यटन के क्षेत्र में भी श्रीलंका को काफी नुकसान हुआ है। ‘द गार्डियन’ ने श्रीलंका में एक केस स्टडी करते हुए हाल ही में पाया कि वहां गावों की दुकान में एक किलो दूध पाउडर के पैकेट को खोल 100-100 ग्राम के पैक तैयार किए जाते हैं क्योंकि लोग एक किलो का पैकेट नहीं खरीद सकते। लोग 100 ग्राम बीन्स से ज्यादा नहीं खरीद पाते हैं। इसके अलावा रोजमर्रा की अन्य चीजों के रेट आसमान छू रहे हैं।