अवसाद से बचाव के लिए वैज्ञानिक नए तरीके विकसित करने के लिए प्रयासरत हैं। मगर इस मामले में मशरूम कारगर साबित हो सकता है। एक हालिया अध्ययन में यह बात सामने आई है। मशरूम खाने वाले लोगों की एक व्यापक संख्या के विश्लेषण से पता चला है कि मशरूम के सेवन से अवसाद का जोखिम कम होता है। हालांकि अवसाद और मशरूम के बीच यह संबंध अभी एक रहस्य बना हुआ है। फिलहाल शोधकर्ताओं का कहना है कि अभी डेटा की सावधानी से व्याख्या की जानी चाहिए। हालांकि परिणामों के बीच केवल सह-संबंध है। अधिक मशरूम खाने से अवसाद की संभावना कम नहीं होती है।
बड़े स्तर पर किया गया अध्ययनः
शोधकर्ताओं का कहना है कि मशरूम के सेवन और अवसाद पर यह पहला बड़े अवलोकन संबंधी अध्ययनों में से एक है। इसमें 2005 से 2016 तक की अवधि के 24,000 से अधिक अमेरिकी वयस्कों के आहार और मानसिक स्वास्थ्य डेटा को शामिल किया गया। निष्कर्ष विभिन्न प्रकार के मशरूम के बीच अंतर नहीं करते हैं, लेकिन वे हेरिकियम एरीनेसियस प्रजाति के मशरूम पर हुए कई छोटे नैदानिक परीक्षणों के आधार पर हैं। यह मशरूम अवसाद और चिंता को कम करने में मदद कर सकते हैं।
पेंसिल्वेनिया स्टेट यूनिवर्सिटी के सार्वजनिक स्वास्थ्य वैज्ञानिक जोशुआ मस्कट का कहना है, ‘यह अध्ययन मशरूम खाने के संभावित स्वास्थ्य लाभों की बढ़ती सूची में इजाफा करता है।’ हालांकि मशरूम में ऐसा क्या है, जो हमारी सेहत के लिए यह इतना अच्छा साबित होता है यह बात अभी भी एक पहेली है।
सफेद बटन मशरूम (एगेरिकस बिस्पोरस) को अमेरिका में सबसे अधिक खाया जाता है। यह पोटेशियम से भरा होता है, जिसे एंजाइटी कम करने में मददगार माना जाता है। अन्य किस्म के मशरूम जैसे कि लायन मशरूम आदि को मस्तिष्क की सेहत से संबंधिक गुणों से भरपूर माना जाता है। इन्हें अवसाद के लक्षणों को कम करने में मददगार माना जाता है।
शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट पर वैज्ञानिकों की नजरः
मशरूम में विभिन्न प्रकार के विटामिन, खनिज और एंटीऑक्सिडेंट होते हैं। यह अवसाद को दूर रखने में मददगार साबित हो सकते हैं। हालांकि यह पता लगाने और साबित करने के लिए अभी कई नैदानिक परीक्षण और अध्ययन की आवश्यकता होगी। फिर भी, मशरूम में मौजूद एर्गोथायोनीन के रूप में जाने जाने वाले एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट पर वैज्ञानिकों की नजर है। मनुष्य इसे केवल आहार के माध्यम से प्राप्त कर सकता है और किसी भी खाद्य पदार्थ की तुलना में मशरूम में इसकी सर्वाधिक मात्रा होती है।
हाल के एनिमल मॉडल में यह एंटीऑक्सीडेंट रक्त प्रवाह बाधा को पार करने के लिए पाया गया है जो मस्तिष्क को शरीर के बाकी हिस्सों से अलग करता है। यह बताता है कि एर्गोथायोनीन न्यूरोलॉजिकल स्वास्थ्य पर प्रभाव डाल सकता है। अन्य एनिमल मॉडल में यह सुझाव मिला है कि यह एंटीऑक्सिडेंट पेट की सेहत में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जहां इंसान के मूड को प्रभावित करने वाले न्यूरॉन होते हैं।
अभी और अध्ययन की जरूरतः
पेन स्टेट के महामारी विज्ञानी जिब्रिल बा का कहना है कि मशरूम अमीनो एसिड एर्गोथायोनीन का उच्चतम स्रोत है। इसके सेवन से तनाव का खतरा कम हो सकता है और यह अवसाद के लक्षणों को भी कम कर सकता है। फिर भी, यह सिर्फ एक संभावित स्पष्टीकरण है। अभी बड़े समूहों पर अधिक शोध करने की जरूरत है, इससे पता लगेगा कि मशरूम में क्या खास है और ये मानव स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करता है। इस मामले में डेटा यूएस नेशनल हेल्थ एंड न्यूट्रिशन एग्जामिनेशन सर्वे से आया है।