दिल्ली में तेजी से बढ़ते ओमिक्रॉन के मामलों को देखते हुए दिल्ली सरकार ओमिक्रॉन वैरिएंट से संक्रमित कोविड-19 के बिना लक्षण व हल्के लक्षण वाले मरीजों को होम आइसोलेशन में रखने पर विचार कर रही है। अधिकारियों ने गुरुवार को इस बारे में जानकारी देते हुए कहा कि इसके साथ ही सरकार सिर्फ सीमित संख्या में नमूनों को जीनोम सिंक्वेंसिंग के लिए भेजेगी।
जानकारी के अनुसार, देश में कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन से संक्रमित होने वाले मरीजों की संख्या शुक्रवार को बढ़कर 1,200 से अधिक हो गई। इसे देखते हुए राज्यों ने कोविड पाबंदियां और सख्त कर दी हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा शुक्रवार को जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार, देशभर के 23 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ओमिक्रॉन संक्रमण के करीब 1,270 मामले सामने आए हैं, जबकि 374 मरीज ठीक हो चुके हैं। इनमें 450 मरीजों के साथ महाराष्ट्र पहले स्थान पर है, जबकि दिल्ली में ओमिक्रॉन के 320 मरीज हैं। वहीं, केरल में 109, गुजरात में 97 और राजस्थान में 69 मरीज ओमिक्रॉन से संक्रमित पाए गए हैं।
दिल्ली सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि देशभर में नए मामलों की संख्या 1,000 का आंकड़ा पार कर गई है और उनमें से 54 प्रतिशत ओमिक्रॉन वैरिएंट से संक्रमित हैं। यह संख्या अगले कुछ दिनों में और बढ़ने वाली है और हमने देखा है कि ओमिक्रॉन वैरिएंट से संक्रमित अधिकांश रोगियों को अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता नहीं होती है – वे या तो बिना लक्षण वाले हैं या उनमें हल्के लक्षण हैं। उन्हें अस्पतालों में चिकित्सा देखभाल की आवश्यकता नहीं है।
उन्होंने कहा कि अस्पताल में देखभाल की जरूरत बीमारों को है। यदि वे बीमार हैं, तो हम उन्हें अस्पताल ले जाएंगे, यदि नहीं, तो क्यों (उन्हें) अस्पताल ले जाएं। इसलिए ओमिक्रॉन वैरिएंट से संक्रमित बिना लक्षण व हल्के लक्षण वाले रोगियों को होम आइसोलेशन में रखने के परिणाम स्वाभाविक रूप से सिद्ध हैं।
अधिकारी ने कहा, इसी तरह जीनोम सिक्वेंसिंग करने वाली प्रयोगशालाओं की सीमित क्षमता है। वे एक दिन में 50 से 100 नमूनों का सिक्वेंसिंग कर सकती है, लेकिन मामले अब हजारों में हैं। उन्होंने कहा कि इसी के अनुरूप भारत सरकार के निर्देशानुसार कुल नमूनों के पांच प्रतिशत को जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए भेजा जाएगा।
गौरतलब है कि देश में ओमिक्रॉन वैरिएंट का पहला मामला दो दिसंबर को बेंगलुरु में सामने आया था, जहां भारतीय मूल के 66 वर्षीय दक्षिण अफ्रीकी और 46 वर्षीय एक डॉक्टर के इस वैरिएंट से संक्रमित होने की पुष्टि हुई थी। हालांकि दोनों ने विदेश यात्रा नहीं की थी।