राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने चालू हालत वाले मल-जल उपचार संयंत्र (एसटीपी) के बगैर फ्लैट बेचने के वास्ते कुछ बिल्डर को आंशिक कब्जा प्रमाण पत्र जारी करने के लिए नवीन ओखला औद्योगिक विकास प्राधिकरण (नोएडा) को फटकार लगाई है।
इसके साथ ही एनजीटी ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से कहा है कि वह वायु एवं जल कानून के तहत अपराध करने के लिए रियल एस्टेट डेवलपर के विरुद्ध कार्रवाई करे।
एनजीटी के अध्यक्ष जस्टिस आदर्श कुमार गोयल ने कहा कि 72 एसटीपी के दावे के विपरीत समूह आवासीय परिसरों में उनमें से केवल 12 ही चालू हालत में हैं। बेंच ने कहा कि हमें बताया गया है कि इन बिल्डर को फ्लैट बेचने की सुविधा देने के लिए आंशिक कब्जा प्रमाण पत्र जारी किए गए हैं जो प्रथम दृष्टया अपराध है। इस नीति की ईसी/मंजूरी की शर्तों तथा जल और ईपी (पर्यावरण संरक्षण) कानूनों के तहत समीक्षा की जानी चाहिए।
मेरठ रेंज के पुलिस महानिरीक्षक ने एनजीटी को बताया कि पर्यावरण संरक्षण कानून के प्रावधानों के कारण इन बिल्डर के विरुद्ध भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत मामले दर्ज नहीं किए गए।
बेंच ने कहा कि यह कोई कारण नहीं है क्योंकि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत भी अपराध किए गए और इसके तहत कार्रवाई करने से विशेष कानून का उल्लंघन नहीं हुआ। इसके अतिरिक्त दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 133 को भी आवश्यकता पड़ने पर लागू किया जा सकता है।
एनजीटी ने कहा कि चूंकि, वायु, जल, ईपी कानूनों के तहत अपराध कर धन अर्जित करना पीएमएलए कानून 2002 की धारा तीन के तहत अपराध है इसलिए प्रवर्तन निदेशालय को इस मामले में कार्रवाई करनी चाहिए।