जीएसटी का कानून बनने के बाद यह पहली बार है कि टैक्स की चोरी को पकड़ने के लिए विजिलेंस की टीम ने लगातार 100 घंटे से ज्यादा तक सर्च ऑपरेशन चलाया। कन्नौज में टीम ने दो दिनों में 36 घंटे तक तो कन्नौज में पांच दिनों में 100 घंटे से भी ज्यादा पड़ताल की। इस दौरान इत्र कारोबारी के मकान और कारोबारी ठिकानों का चप्पा-चप्पा तलाशने के बाद टीम के हाथ अरबों का खजाना हाथ लगा।
गुजरात के अहमदाबाद से आई डीजीजीआई यानी डायरेक्टर जनरल ऑफ गूड्स एंड सर्विस टैक्स इंटेलिजेंस की टीम ने इत्र कारोबारी पीयूष जैन के कानपुर से लेकर कन्नौज तक के ठिकानों पर छापामरी की। टीम ने 23 दिसंबर को एक साथ दोनों जगह पर छापा मारा। यहां का मकान बंद मिलने से उसे सील कर दिया था। जबकि कानपुर में उसी दिन से छापामारी में नोटों का जखीरा मिलना शुरू हुआ। अगले ही दिन 24 दिसंबर को विजिलेंस टीम पीयूष जैन के दो बेटों प्रत्यूष और प्रियांश को लेकर यहां पहुंची। 24 दिसंबर की शाम चार बजे से यहां के छिपट्टी मोहल्ला स्थित उसके पुश्तैनी मकान में जांच-पड़ताल शुरू हो गई।
उसके बाद जांच का सिलसिला उसके मकान में ही स्थित दफ्तर, गोदाम से होता हुआ पास में ही स्थित कारखाना तक पहुंचा। बाद में मकान की गली के पास ही स्थित दो और मकान का क्लू मिलने पर वहां भी पड़ताल की गई। शुरू के तीन दिनों के 72 घंटों की पड़तल के दौरान ही टीम ने यहां के अलग-अलग हिस्सों में छिपाकर रखे गए नोटों के जखीरा और सोने की ईंट व बिस्किट के अलावा चंदन के तेल का जखीरा बरामद कर लिया। चौथे दिन सोमवार को नोटों की गिनती शुरू हुई। 13 घंटे तक तीन मशीन की मदद से नोट गिने गए। उस दौरान भी सर्च ऑपरेशन चलता रहा। पांचवें दिन नोटों को बैंक पहुंचवाने के बाद भी दस्तावेजी पड़ताल जारी रही, जो कि देर रात तक चलती रही।
36 अफसरों की टीम के साथ मदद में जुटे रहे 100 कारीगर-मजदूर
कानपुर में तो टीम ने 36 घंटे में ही 177 करोड़ रुपए की भारी-भरकम रकम बरामद कर ली थी। यहां टीम को मकान की अजीबो-गरीब बनावट की वजह कर ज्यादा समय लगा। बेसमेंट, सीक्रेट चैंबर, तहखाना, डेढ़ दर्जन से ज्यादा अलमारियां, इतने ही लॉकर की तलाश में टीम को काफी मशक्कत करनी पड़ी। इस दौरान विजिलेंस टीम के सदस्य की पहले दिन के सदस्यों की संख्या 12 से बढ़कर 36 तक पहुंच गई। कई और एजेंसी को जांच में शामिल किया गया।
500 से ज्यादा चाबियों का इस्तेमाल, तोड़े गए दो दर्जन ताले
सर्च ऑपरेशन के दौरान पीयूष जैन के घर से बरामद हुई चाबियों के गुच्छों ने अफसरों को चकरा दिया। छोटी-बड़ी 500 चाबियों के अलग-अलग गुच्छों से अलग-अलग तालों को खोलने में टीम को पसीना आ गया। ऐसे में जो ताला नहीं खुला उसे यहीं के कारीगरों को बुलवाकर तुड़वा दिया गया। जो नहीं टूटा उसे कटर से काट दिया गया।