यह ठग खुद को इंडियन आर्मी का मेजर बताता था। वो किसी मेजर की तरह ही यूनिफॉर्म पहनता था और इतना ही नहीं वो आर्मी कैंट परिसर में भी बेधड़क घुस जाता था। इंटेलिजेंस इनपुट के बाद आखिरकार इस ठग को गिरफ्तार कर लिया गया है और उसपर लोगों को नौकरी के नाम पर ठगने का आरोप है। इस शख्स को महाराष्ट्र के नासिक में स्थित देवलाली कैंट एरिया से पकड़ा गया है।
आर्टिलरी सेंटर में चल रही भर्ती रैली के दौरान यह ठग अभ्यर्थियों को बताता था कि वो आर्मी का मेजर है। अभ्यर्थियों को सेना में भर्ती करवाने के नाम पर वो उनसे मोटी रकम भी लेता था। मंगलवार को इसे गिरफ्तार करने के बाद खुलासा हुआ कि खुद को भारतीय सेना का मेजर दिखाने वाले इस शख्स का नाम गणेश वलू पवार है और वो नासिक का ही रहने वाला है।
पुणे से मिली मिलिट्री इंटेलिजेंस इनपुट के आधार पर गणेश को सुरक्षकर्मियों ने पकड़ा है। आर्मी से जुड़े सूत्रों ने बताया कि गणेश किसी मेजर रैंक के अधिकारी की तरह यूनिफॉर्म पहनता था। वो कैंट परिसर में घूमने के लिए एक चार पहिया वाहन का इस्तेमाल करता था।
गणेश कैंट में जाने के बाद वहां भर्ती में शामिल होने के लिए पहुंचे अभ्यर्थियों से कागजात लेता था और उन्हें लालच देता था कि वो सेना में भर्ती होने में उनकी मदद करेगा। वो इनसे कहता था कि वो अभी सेना में कार्यरत है और भर्ती प्रक्रिया में वो उनकी मदद करेगा। पवार के साथ उसका ड्राइवर निलेश छब्बू खरे भी रहता था। आरोप है कि निलेश ने भी नौकरी पाने के झांसे में आकर पवार को तीन लाख रुपए दिए थे।
आगे की जांच में यह भी पता चला है कि पवार ने कुछ लोगों से 15 लाख रुपए और कुछ अन्य लोगों से भी लाखों रुपए लिए हैं। पुलिस ने पवार के पास मिलिट्री यूनिफॉर्म में उसकी तस्वीरें, सर्टिफिकेट समेत अन्य कागजात बरामद किये हैं। उसने इन कागजातों के आधार पर यूनियन बैंक ऑफ इंडिया से 39 लाख रुपए का लोन भी लिया था। यह लोन गांव में मकान बनाने के नाम पर लिया गया था। पवार को फिलहाल पुलिस के हवाले कर दिया गया है। पुलिस ने उसके खिलाफ एफआईआऱ दर्ज कर मामले में आगे की छानबीन शुरू कर दी है।