सूबे के तमाम निचली अदालतों में संसाधन उपलब्ध कराने के लिए दायर लोकहित याचिका पर पटना हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को दो सप्ताह के भीतर जवाबी हलफनामा दायर करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने बिहार स्टेट बार काउंसिल के अध्यक्ष रमाकांत शर्मा की ओर से दायर लोकहित याचिका पर सुनवाई की।
अध्यक्ष ने कोर्ट को बताया कि पूरे राज्य के सिविल कोर्ट सहित अनुमंडल न्यायालयों में केस की तुलना में कोर्ट रूम नहीं है। यही नहीं जिसके लिए न्यायालयों का गठन किया गया, उनके लिए किसी भी निचली न्यायालयों में कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है। यहां तक कि उनके लिए शौचालय तक नहीं है।
सूबे की कई निचली अदालतों में महिला वकीलों तथा महिला मुवक्किल के लिए शौचालय नहीं हैं। उनके लिए बैठने की कोई व्यवस्था नहीं है। उन्हें खुले आसमान के नीचे बैठकर न्यायिक कार्य में सहयोग करना होता है। कहीं पीने के पानी की व्यवस्था नहीं तो कहीं लाइब्रेरी नहीं है। उनका कहना था कि सिविल कोर्ट में सब्सिडाइज रेट पर कैंटीन की व्यवस्था भी होनी चाहिए। कोर्ट ने दो सप्ताह के भीतर जवाबी हलफनामा दायर करने तथा जवाबी हलफनामा का जवाब तीन सप्ताह के भीतर देने तथा पांच सप्ताह के भीतर सुनवाई करने का आदेश दिया।