मध्य प्रदेश में 70 हजार पंचायत अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) पदों पर आरक्षण को सुप्रीम कोर्ट द्वारा खत्म कर दिए जाने के बाद भाजपा और कांग्रेस को इस वोटबैंक के अपने हाथ से फिसलने का भय सताने लगा है। कांग्रेस अदालत के फैसले को अपनी याचिका से अलग बताने का भरसक प्रयास कर रही है तो भाजपा इसके लिए कांग्रेस पर दोषसिद्ध करने में जुटी है। दोनों ही ओर से नेताओं की टीमें अपने-अपने बचाव मे तर्क देकर वोटबैंक को अप्रत्यक्ष रूप से समझाने की कोशिश में है।
पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण खत्म किए जाने के आदेश से राज्य निर्वाचन आयोग ने जिला, जनपद और ग्राम पंचायत के सरपंच व पंच के 69839 को सामान्य घोषित करने के लिए राज्य शासन को पत्र लिखा है। अगले दिन के भीतर इन पदों को राज्य शासन को सामान्य घोषित करना होगा जिससे वहां घोषित पंचायत चुनाव कार्यक्रम के मुताबिक चुनाव प्रक्रिया पूरी हो सके। इसके लिए भाजपा सरकार ने संगठन के पिछड़ा वर्ग मोर्चा और अधिवक्ताओं की राय लेने की कवायद भी शुरू कर दी है।
पिछड़ा वर्ग मोर्चा के साथ मंत्री भूपेंद्र सिंह ने की बैठक
ओबीसी आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद रविवार को नगरीय विकास और आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह ने भाजपा के पिछड़ा वर्ग मोर्चा की बैठक बुलाई। बैठक में अधिवक्ताओं को भी बुलाया गया था। भाजपा पिछड़ा वर्ग मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष भगतसिंह कुशवाह ने लाइव हिंदुस्तान से कहा है कि भाजपा हमेशा ओबीसी कल्याण के लिए आगे रही है। अब भाजपा सरकार प्रदेश में पिछड़ा वर्ग की आबादी के आंकड़ों के अदालत में उनके हितों को रखेगी।
भाजपा-कांग्रेस की टीमें मैदान में उतरीं
ओबीसी आरक्षण खत्म किए जाने के अदालत के आदेश में अपनी-अपनी सफाई देने के लिए भाजपा-कांग्रेस की टीमें उतर गई हैं। भाजपा की ओर से प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से लेकर मंत्रीगण नरोत्तम मिश्रा, भूपेंद्र सिंह, कमल पटेल, विश्वास सारंग, संगठन के मंत्री रजनीश अग्रवाल, मीडिया प्रभारी लोकेंद्र पाराशर, प्रवक्ता डॉ. हितेष बाजपेयी मैदान में उतर चुके हैं। दूसरी तरफ कांग्रेस की ओर से पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ, पूर्व केंद्रीय मंत्री व पूर्व पीसीसी चीफ अरुण यादव, राज्यसभा सदस्य व अधिवक्ता विवेक तन्खा, पूर्व मंत्री कमलेश्वर पटेल, पीसी शर्मा, पीसीसी के महामंत्री जेपी धनोपिया, प्रवक्ता सैयद जाफर ओबीसी आरक्षण में अपनी तरह से सफाई देने के साथ भाजपा पर निशाना साध रहे हैं।
भाजपा का तर्कः
भाजपा नेता कांग्रेस को ओबीसी आरक्षण खत्म होने के लिए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। बीडी शर्मा ने कहते रहे हैं कि पंचायत चुनाव से कांग्रेस भागना चाहती है और इसलिए अदालत में जाकर चुनाव टालना चाहती है। इसी तरह संसदीय कार्यमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कांग्रेस को ओबीसी के हितों का विरोधी बताया है। भाजपा नेतागण आरोप लगा रहे हैं कि अदालत में कांग्रेस के जाने से यह स्थिति बनी है क्योंकि वह पंचायत चुनाव टालना चाहती थी।
कांग्रेस का तर्कः
सर्वोच्च न्यायालय में राज्यसभा सदस्य व वकील विवेक तन्खा की पैरवी में याचिका पर सुनवाई के दौरान हुए फैसले के बाद अब कांग्रेस अपनी सफाई दे रही है। तन्खा भी कह चुके हैं कि वे सुप्रीम कोर्ट में संविधान में आरक्षण रोटेशन की व्यवस्था को लेकर गए थे लेकिन अदालत ने जो फैसला दिया है वह महाराष्ट्र के अपने फैसले को लागू कराने के लिए राज्य निर्वाचन आयोग को कहा है। महाराष्ट्र का फैसला फुलबैंच का आदेश था और इसके पालन का आयोग ने कोई जवाब नहीं दिया। धनोपिया ने कहा है कि अदालत में जाने वालों में भाजपा के नेता और पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष संदीप पटेल भी शामिल हैं। इसलिए भाजपा का कहना कि कांग्रेस अदालत में गई थी, पूरी तरह गलत है।