सुप्रीम कोर्ट ने पंचायत चुनाव के लिए अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आरक्षण पर रोक लगा दी है जिससे चुनाव प्रक्रिया पर असमंजस की स्थिति बन गई है। राज्य निर्वाचन आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद शुक्रवार को देरशाम तक कोई फैसला नहीं किया है जिससे चुनाव के पहले व दूसरे चरण के मतदान वाले स्थानों पर चल रही नामांकन पत्र दाखिल करने की प्रक्रिया पर पसोपेश की स्थिति बनी है। वहीं, पंचायतराज संचालनालय ने जिला पंचायत सदस्यों के आरक्षण को एकबार फिर टाल दिया है।
सुप्रीम कोर्ट में मध्य प्रदेश पंचायत चुनाव को लेकर राज्य सभा सद्स्य और वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा सहित आठ वकीलों ने याचिका लगाई थी। सुप्रीम कोर्ट जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस सीटी रविकुमार की बैंच में याचिका की सुनवाई हुई। इसमें राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह, अतिरिक्त महाधिवक्ता सौरभ मिश्रा, डीएस परमार, सिद्धार्थ सेठ सहित 10 वकीलों ने पैरवी की।
महाराष्ट्र ओबीसी आरक्षण के हवाले से आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में महाराष्ट्र के ओबीसी आरक्षण केस में दिए गए फैसले का हवाला भी दिया। अदालत ने कहा कि मध्य प्रदेश राज्य में सभी स्थानीय निकायों के चुनावों ने ओबीसी के लिए आरक्षण का प्रावधान अधिसूचित किया है। ओबीसी आरक्षण की चुनाव प्रक्रिया को रोक दिया जाना चाहिए क्योंकि विकास किशनराव गवली-महाराष्ट्र राज्य और अन्य 2021 एससी 13 और कृष्ण मूर्ति, और अन्य बनाम भारत संघ और अन्य (2010) 7 एससीसी 202 के विरुद्ध है।
जिला पंचायत के आरक्षण फिर निरस्त
मध्य प्रदेश पंचायत राज संचालनालय ने 18 दिसंबर को जिला पंचायत के आरक्षण कार्यक्रम घोषित किया था। मगर सुप्रीम कोर्ट के ओबीसी आरक्षण पर दिए गए फैसले के बाद संचालनालय ने जिला पंचायत आरक्षण को फिलहाल स्थगित कर दिया है लेकिन नई तारीख घोषित नहीं की है। इसके पहले हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान भी जिला पंचायत आरक्षण को स्थगित कर 18 दिसंबर कर दिया गया था।