उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि ‘सरकार और इसकी संस्थाएं एक आदर्श नियोक्ता के रूप में कार्य करने के लिए बाध्य है। न्यायालय ने कहा है कि जब महामारी के दौरान निजी क्षेत्र में नौकरियां ढूंढने में परेशानी हो रही हो तब सरकार और सरकारी उपक्रम अपने कर्मचारियों और उनके परिवारों की ओर अपनी सामाजिक जिम्मेदारी से नहीं बच सकते।’
जस्टिस राजीव शकधर और तलवंत सिंह की खंडपीठ ने अपने फैसले में कहा है कि ‘राज्य और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम से असंख्य पहलुओं को देखने की उम्मीद है न कि सिर्फ अपना मुनाफा।’ पीठ ने एकल पीठ के फैसले के खिलाफ एयर इंडिया की अपील को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की है।
एकल पीठ ने एयर इंडिया के उस आदेश को रद्द कर दिया था जिसमें नौकरी से हटाए गए पायलटों को बहाल करने का निर्देश दिया था। एयर इंडिया ने एकल पीठ के 1 जून, 2021 के फैसले के खिलाफ अपील दाखिल की थी। एयर इंडिया ने पिछले साल महामारी के दौरान अपने दर्जनों स्थाई और अनुबंधित पायलटों की सेवाएं समाप्त कर दी थी।
वेतन समय से नहीं मिलने पर पायलटों ने बड़े पैमाने पर इस्तीफा दे दिया था। लेकिन बाद में पायलटों ने अपना इस्तीफा वापस लेने की अनुमति मांगी। एयर इंडिया ने इस्तीफा वापस लेने की अनुमति नहीं दी तो पायलटों ने पिछले साल जुलाई में उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की।
इस मामले में एयर इंडिया ने कहा था कि उसने नये पायलट नियुक्त कर लिए हैं, ऐसे में अब इस्तीफा वापस नहीं होगा। इसके साथ पायलटों की सेवाएं समाप्त कर दी गई थीं। बाद में उच्च न्यायालय ने एयर इंडिया के फैसले को रद्द करते हुए नौकरी से हटाए गए 30 से अधिक पायलटों को बहाल करने का आदेश दिया था। इसके खिलाफ एयर इंडिया ने अपील दाखिल की थी।