चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी की जॉइंट मिलिट्री ब्रिगेड ने तिब्बत में केमिकल, बायोलॉजिकल और ऐंटी न्यूक्लियर वारफेयर का अभ्यास किया है। तिब्बत से सटे पूर्वी लद्दाख की सीमा पर भारत और चीन के बीच बढ़े तनाव के दौर में यह मॉक ड्रिल अहम है। इस अभ्यास में कमांडो, सशस्त्र समूह और केमिकल वारफेयर की ट्रेनिंग पाए हुए सैनिक शामिल थे, जो पीएलए की अलग-अलग विंग्स का हिस्सा हैं। यह युद्धाभ्यास तिब्बत सैन्य क्षेत्र में वेस्टर्न थिएटर कमांड के तहत किया गया। चीन में 5 थिएटर कमांड्स हैं, जिनमें यह सबसे अहम और बड़ी है। भारत के साथ जारी मौजूदा तनाव में इसका ही रोल है। यह कमांड ही भारत के साथ लगी लद्धाख से अरुणाचल प्रदेश तक की 3488 किलोमीटर लंबी सीमा की निगरानी करती है।
पीएलए के एक न्यूज पोर्टल में इस युद्धाभ्यास की जानकारी दी गई है, जो नवंबर के आखिरी दिनों में हुआ था। चीन के आधिकारिक मीडिया की ओर से ड्रैगन की सेनाओं के युद्धाभ्यास की जानकारी कम ही दी जाती है। खासतौर पर गैर-परंपरागत हथियारों के बारे में जानकारी नहीं दी जाती। पोर्टल पर लिखे आर्टिकल में बताया गया है कि यह मॉक ड्रिल कैसी थी और किन सैनिकों ने इसमें हिस्सा लिया था। लेकिन युद्धाभ्यास की सटीक लोकेशन के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है। आर्टिकल में बताया गया है कि इस सैन्याभ्यास में रात को भी ड्रिल चली। इस दौरान एक तरफ रॉकेट लॉन्च किए गए तो वहीं दूसरी तरफ आर्मी के इंजीनियर्स बुलाए गए थे, जिन्होंने टारगेट वाली जगहों पर विस्फोटक इंस्टॉल किए।
ड्रिल के तहत कमांडिंग ऑफिसर ने न्यूक्लियर, बायोलॉजिकल और केमिकल अटैक की चेतावनी दी। इसके बाद एक बटालियन के कमांडर लि कुनफेंग नो मोर्चा संभाला। गैस मास्क पहले सभी सैनिक पूरी तरह से मुस्तैद थे और फिर उन्होंने उससे निपटने की ड्रिल पूरी की और कमांड पोस्ट को स्थिति के बारे में पूरी जानकारी दी। यह ड्रिल पूरी तरह से दुश्मन की स्थिति, उसके हमले और तत्काल प्रतिक्रिया का जवाब देने के लिए की गई थी। इस रिपोर्ट की तस्वीरें भी सामने आई हैं, जिनमें चीनी सैनिक गैस मास्क पहने दिख रहे हैं। नवंबर में ही एक रिपोर्ट में अमेरिका ने बताया था कि चीन की सेना केमिकल और बायोलॉजिकल हथियारों के इस्तेमाल को लेकर रिसर्च कर रही है।
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तिब्बत और शिनजियांग से लगी सीमाओं पर है चीन का ज्यादा फोकस
कहा जा रहा है कि भारत की सीमा पर किसी भी चुनौती से निपटने के लिए चीनी सेना के प्रयासों के तहत ही यह युद्धाभ्यास किया गया था। हाल ही में चीनी सेना ने यह भी बताया था कि कैसे उसकी ओर से ऊंचे सीमांत इलाकों में सैनिकों के लिए सुविधाओं में इजाफा किया जा रहा है और उनकी लिविंग कंडीशंस को भी बेहतर किया जा रहा है। खासतौर पर तिब्बत और शिनजियांग की सीमाओं पर चीनी सेना ने फोकस किया है, जो भारत से बॉर्डर साझा करते हैं। मई 2020 के बाद से ही पूर्वी लद्दाख के अलग-अलग इलाकों में भारत और चीन की सेनाओं के बीच तनावपूर्ण स्थिति बनी हुई है।