दिल्ली हाईकोर्ट ने राजधानी के शालीमार बाग में एक रिहायशी इलाके के पास खुली शराब की दुकान का लाइसेंस रद्द करने की मांग वाली दो अलग-अलग याचिकाओं पर दिल्ली सरकार से सोमवार को जवाब मांगा। अदालत ने कहा कि स्कूलों और धार्मिक स्थलों के पास इस तरह की दुकानें नहीं होनी चाहिए।
चीफ जस्टिस डी.एन. पटेल और जस्टिस ज्योति सिंह की बेंच ने दोनों याचिकाओं पर दिल्ली सरकार के आबकारी विभाग को नोटिस जारी किया और अधिकारियों को इलाके के नक्शे के साथ जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। अदालत ने दोनों मामलों में 18 जनवरी को आगे सुनवाई होगी।
अदालत ने मौखिक रूप से कहा कि जब भी कोई शराब की दुकान खोली जाती है तो वह स्कूलों, धार्मिक संस्थानों जैसी जगहों के पास नहीं हो सकती, क्योंकि लाइसेंस देते समय कई मानदंडों का पालन किया जाता है। सुनवाई के दौरान, दिल्ली सरकार के स्थायी वकील संतोष कुमार त्रिपाठी ने दलील दी कि एक शिकायत के बाद स्थानीय लोगों और आरडब्ल्यूए की उपस्थिति में जांच की गई है और शराब विक्रेता को लाइसेंस देने में कानून के प्रावधानों का उल्लंघन नहीं किया गया है।
आरडब्ल्यूए का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील के. सी. मित्तल ने अदालत का ध्यान आवासीय क्षेत्रों में शराब लाइसेंस देने पर रोक लगाने वाले हाईकोर्ट के एक पुराने आदेश की ओर दिलाया। उन्होंने कहा कि शराब की दुकान खुलने से बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों पर असर पड़ेगा, क्योंकि खुले स्थान पर फेरीवाले और अपराधी कब्जा कर लेंगे, जिससे निवासियों को गंभीर समस्या हो रही है।
अधिकारियों ने कहा कि यह सिफारिश की गई है कि दिल्ली आबकारी नियम, 2010 के तहत शर्तों को पूरा नहीं करने के कारण मुख्य वजीराबाद रोड स्थित मीत नगर में प्रस्तावित शराब की दुकान को लाइसेंस नहीं दिया जा सकता है। नियमानुसार, शैक्षणिक एवं धार्मिक संस्थाओं से 100 मीटर से कम की दूरी पर कोई भी शराब की दुकान नहीं खोली जा सकती है।