दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को कहा कि यह स्पष्ट नहीं है कि अवैध ढांचों को गिराने की सिफारिश करने वाली उपराज्यपाल की अध्यक्षता वाली धार्मिक समिति को अतिक्रमण से जुड़े मामूली मुद्दों से निपटने की जरूरत है या नहीं।
हाईकोर्ट ने दक्षिणी दिल्ली के डिफेंस कॉलोनी इलाके में एक संपत्ति के सामने अवैध रूप से निर्मित मंदिर के रूप में अतिक्रमण हटाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की।
जस्टिस रेखा पल्ली ने संबंधित थाने के एसएचओ को साइट पर 24 घंटे के लिए एक पुलिस कर्मी की प्रतिनियुक्ति करने और मंदिर में आने वाले लोगों की डिटेल सहित एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया और मामले को 16 दिसंबर को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया।
हाईकोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार ने पहले कहा था कि अधिकारियों की योजना 4 अक्टूबर को अवैध ढांचे को गिराने की है, लेकिन अब उसने मामले को धार्मिक समिति को भेज दिया है। चूंकि धार्मिक समिति ने आज तक इसे तोड़ने के लिए मंजूरी नहीं दी है, इसलिए दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि वह कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं है।
अदालत ने कहा कि उसने याचिकाकर्ता के वकील की दलील में योग्यता पाई कि एक बार अधिकारियों ने यह मान लिया कि संरचना को हटा दिया जाएगा, अब वह इस मामले को धार्मिक समिति को संदर्भित करने का एक अलग दृष्टिकोण नहीं ले सकती है।
जस्टिस पल्ली ने कहा कि मुझे लगता है कि इस बारे में कोई स्पष्टता नहीं है कि कथित तौर पर एलजी के आदेश के तहत गठित धार्मिक समिति को इस तरह के छोटे से अतिक्रमण से निपटने की आवश्यकता है या नहीं। हाईकोर्ट ने अधिकारियों से अदालत के समक्ष प्रासंगिक रिकॉर्ड पेश करने को भी कहा।
हाईकोर्ट ने पहले अवैध रूप से निर्मित मंदिर को ध्वस्त करने के अपने आदेश को पूरा नहीं करने के लिए दिल्ली सरकार की खिंचाई की थी और इस मुद्दे को इसकी मंजूरी के लिए धार्मिक समिति को रेफर करते हुए कहा था कि इससे अराजकता और अधिक अतिक्रमण होगा। कोर्ट ने अधिकारियों को प्रासंगिक दस्तावेज अदालत के समक्ष पेश करने का निर्देश भी दिया।
याचिका में कहा गया है कि कोविड-19 महामारी के दौरान कुछ लोगों ने भीष्म पितामह मार्ग स्थित सार्वजनिक भूमि पर याचिकाकर्ता की प्रॉपर्टी के ठीक सामने अवैध तरीके से मंदिर बना दिया था। याचिका में दावा किया गया है कि उस स्थान पर लोग उधम मचाते हैं। इतना ही नहीं, यह गैर-कानूनी निर्माण जुए का अड्डा बन गया है।