दिल्ली में लोगों को सेक्सटॉर्शन (यौन गतिविधियों) में फंसाकर उनसे जबरन वसूली करने वाले गिरोह (Sextortion Gang) का भंडाफोड़ कर उसके सरगना को गिरफ्तार किया गया है, जिस पर पिछले एक साल में एक दर्जन से अधिक लोगों से लगभग 1.2 करोड़ रुपये की जबरन वसूली का आरोप है।
पुलिस ने रविवार को बताया कि आरोपी और उसके साथी फेसबुक पर महिलाओं की फर्जी प्रोफाइल बनाकर अमीर लगने वाले पुरुषों से संपर्क करते थे और फिर उन्हें हनीट्रैप में फंसा लेते थे। पुलिस के मुताबिक, मामला तब सामने आया जब एक पीड़ित ने नवंबर में पुलिस से संपर्क किया और आरोप लगाया कि एक गिरोह ने उससे तीन लाख रुपये की जबरन वसूली की है। पुलिस ने कहा कि उसने आरोपी को 1.5 लाख रुपये नकद और अन्य 1.5 लाख रुपये बैंक खाते में ट्रांसफर के जरिए दिए थे।
पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह गिरोह पश्चिम विहार में किराये पर लिए गए फ्लैट से अपनी गतिविधियां संचालित करता था। फ्लैट का पता लगाया गया और उसके मकान मालिक से भी पूछताछ की गई।
अतिरिक्त पुलिस आयुक्त (क्राइम) धीरज कुमार ने कहा कि टेक्निकल सर्विलॉन्स के आधार पर गिरोह का पता लगाया गया और इसके सरगना की पहचान बहादुरगढ़, हरियाणा के नीरज के रूप में हुई। उन्होंने बताया कि शुक्रवार को नीरज को पीवीआर सिनेमा, सेक्टर-14, प्रशांत विहार, रोहिणी के पास से पकड़ लिया गया। पुलिस अधिकारी ने कहा कि आरोपी ने गिरोह के अन्य सदस्यों की मदद से पिछले डेढ़ साल में एक दर्जन से अधिक लोगों से जबरन वसूली की बात स्वीकार की। गिरोह में दो महिलाएं भी शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि वे अपने शिकार को उनकी कुल संपत्ति के आधार पर आंकते थे और फिर उन्हें हनीट्रैप में फंसाने के लिए काम पर लग जाते थे। वरिष्ठ अधिकारी ने आरोपी की गवाही का हवाला देते हुए कहा कि गिरोह ने प्रत्येक पीड़ित से 5-10 लाख रुपये की जबरन वसूली की। अधिकारी ने कहा कि एक बार जब आरोपी को पीड़ित का मोबाइल फोन नंबर मिल जाता, तो वे उसे लुभाने के लिए अश्लील सामग्री भेजते। गिरोह की महिला सदस्य पीड़ित को लुभाने के लिए एक वीडियो कॉल करती और उसकी भुगतान क्षमता का आकलन करने के उद्देश्य से उससे कुछ सवाल पूछती।
धीरज कुमार ने कहा कि एक बार जब वे अपने शिकार की हैसियत के बारे में आश्वस्त हो जाते, तो गिरोह की महिला सदस्य उसे पूर्व निर्धारित स्थान पर आमंत्रित करती और यौन गतिविधियों में लिप्त हो जाती। उन्होंने कहा कि एक बार जब पीड़ित कमरे में पहुंच जाता, तो गिरोह के अन्य सदस्य पुलिस कर्मी बनकर कमरे के अंदर घुस जाते और कहते कि वे छापेमारी करने आए हैं। इसके बाद वे पीड़ित को धमकाकर मामले पर पर्दा डालने के लिए उससे पैसे मांगते।
पुलिस ने बताया कि आरोपियों के पास से एक मोबाइल फोन, चार सिम कार्ड, एक डेबिट कार्ड, एक स्कूटी और शिकार को ब्लैकमेल करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली एक स्क्रिप्ट बरामद हुई है। नीरज एक बैंक्वेट हॉल में बार टेंडर का काम करता था और उसका आपराधिक इतिहास रहा है। उन्होंने बताया कि उसके खिलाफ हरियाणा में आर्म्स एक्ट के तहत दो मामले दर्ज हैं। पुलिस ने कहा कि अन्य पीड़ितों का पता लगाने और गिरोह के बाकी सदस्यों की गिरफ्तारी के प्रयास किए जा रहे हैं।