मुजफ्फरपुर में दस और पीड़ितों की आंखें निकालनी पड़ी हैं। एसकेएमसीएच में 12 मरीज भर्ती कराए गए थे। इनमें दस की बुधवार को आंख निकाली गई। दो मरीज बिना कोई जानकारी दिए एसकेएमसीएच से चले गए हैं। अब तक कुल 16 लोगों की आंखें निकाली जा चुकी हैं। कहा जा रहा है कि यह आंकड़ा बढ़ सकता है।
मोतियाबिंद के आपरेशन के बाद हुए संक्रमण के कारण 23 नवंबर को गुपचुप तरीके से चार लोगों की आंखें निकाली गई थीं। एक दिन पहले दो लोगों की आंखें निकालनी पड़ी थी। आई हॉस्पिटल में मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद आंख गंवाने वालों की संख्या जैसे-जैसे बढ़ रही है, लोगों का गुस्सा भी बढ़ रहा है।
घटना सामने आने के तीन दिन बाद अब अस्पताल से पीड़ितों का ब्योरा मांगा गया है। यहां कुल 65 लोगों का ऑपरेशन हुआ था। कई मरीज सामने नहीं आ रहे। उन लोगों को मामूली संक्रमण लग रहा है। विभाग ऐसा लोगों की तलाश में जुटा है।
एक ट्रस्ट से संचालित मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल में 22 नवंबर को पीड़ितों के मोतियाबिंद का मुफ्त ऑपरेशन हुआ था। अगले दिन पट्टी खुलने के बाद उन्हें कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था। सोमवार को सिविल सर्जन तक शिकायत पहुंची तो मामला उजागर हुआ। गंभीर संक्रमण के शिकार 15 मरीजों को पटना भेजा गया है।
सबकी आंख में गंभीर इन्फेक्शन
दृष्टिपुंज अस्पताल, पटना के निदेशक डॉ.सत्यप्रकाश तिवारी ने बताया कि मुजफ्फपुर से 15 मरीज यहां आए थे। सबकी स्थिति काफी बिगड़ी हुई थी। बावजूद इसके कुछ का ऑपरेशन किया गया और कुछ को दवा व इंजेक्शन दिया गया। दोबारा उन्हें बुलाया गया था, लेकिन सोमवार तक वे यहां नहीं आए। ऐसे में यह कहना मुश्किल है कि उनकी आंख की रोशनी लौटेगी या नहीं।
किसने किया ऑपरेशन,पता नहीं
पर्ची पर ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर का नाम एनडीएस लिखा है। छपी पर्ची पर किसी का नाम काटकर एनडीएस लिखा गया है। इस संबंध में सचिव दिलीप जालान ने कहा कि डॉ.एनडी साहू ने ऑपरेशन किया था। उन्हें आग्रह कर बुलाया गया था। वहीं, डॉ.साहू ने बताया कि वे 2015 में मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल छोड़ चुके हैं। न उन्होंने ऑपरेशन किया है और ना उनका उस अस्पताल से कोई संबंध है।