केंद्र सरकार ने तीनों विवादित कृषि कानून भले ही वापस ले लिए हों, लेकिन किसान आंदोलन अब भी जारी है। किसान एमएसपी गारंटी कानून और आंदोलनकारी किसानों के खिलाफ दर्ज केस वापस लेने की मांग पर अड़े हैं। इस बीच, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि कृषि कानूनों का समाधान होने के बाद केंद्र के निर्देशों के मुताबिक उनकी सरकार किसानों के खिलाफ पुलिस मामलों को वापस लेने पर निर्णय करेगी।
खट्टर ने एक सवाल के जवाब में यह बात कही। उनसे पूछा गया था कि केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने कहा था कि केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों के खिलाफ दर्ज मामले वापस लेना राज्य सरकारों के अधिकार क्षेत्र में हैं और उन्हें इस पर निर्णय करना होगा।
खट्टर ने चंडीगढ़ में एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान कहा कि जब इस मुद्दे का समाधान होगा तो उस वक्त केंद्र जो कहेगा, उसके अनुसार हम निर्णय लेंगे। 32 किसान संघों के संगठन संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर जब तक केंद्र उनकी मांगों को स्वीकार नहीं करता है और किसानों के खिलाफ मामले वापस नहीं लेता है, तब तक वे अपना आंदोलन जारी रखेंगे।
संसद के शीतकालीन सत्र में कृषि कानूनों को वापस लेने के बारे में सरकार एक विधेयक लाएगी, जिसके खिलाफ पिछले एक वर्ष से किसान आंदोलनरत हैं।
टिकैत ने किसानों के लिए एमएसपी की गारंटी कानून की मांग दोहराई
भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के नेता राकेश टिकैत ने मांग की कि केंद्र देश में किसानों के हितों की रक्षा के लिए फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी के लिए एक कानून लाए। रविवार को मुंबई में संयुक्त शेतकरी कामगार मोर्चा (एसएसकेएम) के बैनर तले आजाद मैदान में आयोजित ‘किसान महापंचायत’ में हिस्सा लेने पहुंचे टिकैत ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एमएसपी के समर्थक थे, जब वह गुजरात मुख्यमंत्री थे और वह किसानों के हितों की गारंटी सुनिश्चित करने के लिए एक राष्ट्रव्यापी कानून चाहते थे। उन्होंने मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर इस मुद्दे पर बहस से भागने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि केंद्र को किसानों को एमएसपी की गारंटी देने के लिए एक कानून लाना चाहिए। कृषि और श्रम क्षेत्रों से जुड़े कई मुद्दे हैं, जिन पर ध्यान देने की जरूरत है और हम उन्हें उजागर करने के लिए पूरे देश में यात्रा करेंगे। टिकैत ने यह भी मांग की कि केंद्र के तीन कृषि विपणन कानूनों के खिलाफ साल भर के विरोध प्रदर्शन में जान गंवाने वाले किसानों के परिजनों को वित्तीय सहायता दी जाए।
इस महीने की शुरुआत में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के सरकार के फैसले की घोषणा की थी, जो किसानों के विरोध के केंद्र में थे।
कई किसान तीन कृषि कानूनों- कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) कानून, कृषि (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून और आवश्यक वस्तु संशोधन कानून, 2020- के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर नवंबर 2020 से ही प्रदर्शन कर रहे हैं। केंद्र ने प्रदर्शनकारी किसानों के साथ कई दौर की बातचीत की थी। उसका कहना था कि कानून किसानों के हित में हैं, जबकि प्रदर्शनकारियों का दावा था कि कानूनों के कारण उन्हें कॉर्पोरेट घरानों की दया पर छोड़ दिया जाएगा।