प्रयागराज के फाफामऊ में दलित परिवार के चार लोगों की हत्या से सनसनी है। परिजनों ने कई मांगों को लेकर शवों का अंतिम संस्कार रोक दिया है। घटना के बाद राजनीति भी गरमा गई है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी भी पीड़ित परिवार से मिलने शुक्रवार की दोपहर गांव में पहुंचीं। इसी दौरान प्रशासन ने पीड़ित परिवार की कई मांगों को मान लिया है।
फाफामऊ के गोहरी गांव में गुरुवार को एक ही परिवार के चार लोगों की हत्या हुई थी। गोहरी गांव के फूलचंद पासी (50), उनकी पत्नी मीनू, (45), शिव (10) और 17 वर्षीय पुत्री की कुल्हाड़ी और धारदार हथियार से काटकर हत्या कर दी गई थी। हत्या से पहले किशोरी के साथ सामूहिक दुष्कर्म की भी आशंका जाहिर की गई है। किशोरी के शरीर पर कपड़े नहीं थे।
शुक्रवार को पुलिस अभिरक्षा में दलित परिवार के चारों लोगों का पार्थिव शरीर गोहरी गांव लाया गया। अंतिम संस्कार की तैयारी से पूर्व ही महिलाएं आक्रोशित हो गईं। शव के चारों तरफ घेर कर बैठ गई और हंगामा करने लगीं। इस दौरान पूर्व मंत्री अंसार अहमद समेत आसपास के कई नेता भी पहुंच गए। पीड़ित परिवार का कहना है कि मृतक परिवार के दो सदस्यों को सरकारी नौकरी, एक करोड़ रुपए मुआवजा, मृतक के भाइयों को शस्त्र का लाइसेंस और पांच बीघा जमीन दी जाए।
इसके साथ ही इस मुकदमे के नामजद आरोपियों को गिरफ्तार कर फास्ट कोर्ट की मदद से उन्हें सजा दिलाई जाए। पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी उन्हें समझाने में जुटे हैं। महिलाओं का कहना है कि आरोपियों का घर बुलडोजर से गिराया जाए। इसके बाद ही वह अंतिम संस्कार करेंगे। परिवार की मांग ने प्रशासन को परेशान कर दिया। इसके बाद प्रशासन ने परिजनों को 16.50 लाख की आर्थिक मदद देने का ऐलान किया। परिवार के पुरुष सदस्य का शस्त्र लाइसेंस बनेगा। परिवार की सुरक्षा के लिए पिकेट भी तैनात होगी। डीआईजी ने बताया 11 नामजद अभियुक्तों में से आठ गिरफ्तार हो चुके हैं। पूरा गांव पुलिस छावनी में तब्दील हो गया है।
प्रियंका परिवार से मिलीं, सरकार पर साधा निशाना
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी शुक्रवार की दोपहर गोहरी गांव पहुंचीं। प्रियंका ने पीड़ितों से करीब चालीस मिनट तक बातचीत की। इस दौरान जमीन पर ही बैठकर प्रियंका ने उनकी बातें सुनीं। वहां से निकलने के बाद सरकार पर हमला बोला। प्रियंका गांधी ने कहा कि दलितों और किसानों पर हमले बढ़े हैं। सरकार कुछ कर नहीं पा रही है।
प्रियंका गांधी ने कहा कि पूरा परिवार दहशत के साये में है। परिवार में केवल महिलाएं हैं। पुरुष झारखंड में मजदूरी करते हैं। इन महिलाओं को नहीं पता कि अकेले क्या करें। कोई भी आकर इन्हें परेशान कर सकता है। पुलिस ने इनकी मदद नहीं की। प्रियंका ने कहा कि दो पुलिस वालों को यहां से हटा दिया गया है। महिलाएं बताती हैं कि जब वे शिकायत करने जाती थीं तो पुलिसकर्मी उनका मजाक उड़ाते थे। प्रशासन इस पर चुप कैसे हो सकता है?