हाईकोर्ट ने यूपी के बाहुबली नेता पूर्व सांसद डीपी यादव सहित तीन अन्य द्वारा गाजियाबाद के विधायक महेंद्र भाटी की हत्या करने के मामले में देहरादून की सीबीआई कोर्ट द्वारा उन्हें दी गयी आजीवन कारावास की सजा के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई की। मुख्य न्यायधीश की अध्यक्षता वाली खण्डपीठ ने पाल सिंह उर्फ लक्कड़ पाल उर्फ हरपाल सिंह पर अपना निर्णय सुनाया।
कोर्ट ने निचली अदालत के आदेश को निरस्त कर दिया है। उनके खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं मिलने पर उन्हें रिहा करने के आदेश दिए है। सुनवाई मुख्य न्यायधीश आरएस चौहान व न्यायमुर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में हुई। खण्डपीठ ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि ट्रायल के दौरान सीबीआई इनके खिलाफ पर्याप्त सबूत जुटाने में असमर्थ रही। जो भी सबूत जुटाए गए थे, उनमें भी विरोधाभास रहा।
इसका लाभ इन्हें देते हुए कोर्ट इन्हें रिहा करने के आदेश हरिद्वार जेल को दिए है। आरोपी हरिद्वार जेल में बन्द है। कोर्ट ने इस हत्याकांड के अन्य दो आरोपियो की अपीलों में निर्णय सुरक्षित रखा है। मुख्य आरोपी डीपी यादव कोर्ट इस केस से पूर्व में बरी कर चुका है। आरोपी को 30 साल तक केस लड़ने के बाद आज न्याय मिला है।
ये है मामला
मामले के अनुसार 13 सितम्बर 1992 को गाजियाबाद के विधायक महेंद्र भाटी की हत्या हो गयी थी। डीपी यादव, परनीत भाटी, करन यादव व पाल सिंह उर्फ लक्कड़ पाला पर हत्या के आरोप लगे। 15 फरवरी 2015 को देहरादून की सीबीआई कोर्ट ने चारों आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनवाई थी। इस आदेश को चारों अभियुक्तों द्वारा हाई कोर्ट में अलग अलग अपील दायर कर चुनोती दी गयी थी।