राजधानी दिल्ली डेंगू के डंक का प्रकोप लगातार जारी है। इस सीजन में यहां डेंगू के मामले बढ़कर 7,100 से अधिक हो गए हैं, जिनमें से लगभग 5,600 मामले अकेले नवंबर महीने में ही दर्ज किए गए हैं।
15 नवंबर को दिल्ली में कुल 5,277 डेंगू के मामले दर्ज किए गए थे, जो 2015 के बाद से राजधानी में दर्ज किए गए मच्छर जनित बीमारी के सबसे अधिक मामले हैं। पिछले एक सप्ताह में करीब 1,850 नए मामले दर्ज किए गए हैं। हालांकि, डेंगू के कारण कोई ताजा मौत की सूचना नहीं मिली है।
मच्छर जनित बीमारियों पर सोमवार को जारी नगर निगम की रिपोर्ट के अनुसार, इस सीजन में 20 नवंबर तक कुल 7,128 डेंगू के मामले दर्ज किए गए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, बीते वर्षों में डेंगू के कुल मामले 4431 (2016), 4726 (2017), 2798 (2018), 2036 (2019) और 1072 (2020) दर्ज किए गए थे।
गौरतलब है कि साल 2015 में दिल्ली में बड़े पैमाने पर डेंगू का प्रकोप देखा गया था, जब रिपोर्ट किए गए डेंगू के मामलों की संख्या अक्टूबर में ही 10,600 को पार कर गई थी, जिससे यह 1996 के बाद से राजधानी में मच्छर जनित बीमारी का सबसे भयानक प्रकोप बन गया था।
दिल्ली कांग्रेस ने राजधानी में डेंगू की स्थिति पर एलजी से की हस्तक्षेप की मांग
दिल्ली में डेंगू की वजह से लगातार बिगड़ती स्थिति के मद्देनजर दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी (DPCC) ने उपराज्यपाल अनिल बैजल से इस मामले में हस्तक्षेप करने और स्वास्थ्य प्रणाली को दुरुस्त करने की मांग की है। दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष चौधरी अनिल कुमार ने सोमवार को जारी एक बयान में कहा कि राजधानी में डेंगू से बिगड़ती स्थिति का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यमुनापार के सबसे बड़े अस्पताल और यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेज में भी डेंगू से निपटने के पर्याप्त इंतजाम नहीं हैं और वहां से मरीजों को स्वामी दयानंद अस्पताल भेजा जा रहा है। अस्पताल में बेड खाली नहीं हैं और एक एक-एक बेड पर दो-दो मरीजों को लिटाया जा रहा है।
चौधरी अनिल कुमार ने कहा कि डेंगू से होने वाली मौतों के आंकड़े छिपाए जा रहे हैं और आम आदमी को इलाज मिलना तो मुश्किल है ही डॉक्टरों की मौत भी इस साधारण समझी जाने वाली बीमारी से हो रही है। रविवार को लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज में एक रेजिडेंट डॉक्टर ईशान भगत की मौत हो गई है। वह मात्र 23 साल के थे। अगर समय रहते उन्हें बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिल जातीं तो इस होनहार डॉक्टर की जान बचाई जा सकती थी। उन्होंने कहा कि केजरीवाल का डेंगू से निपटने का अभियान ‘दस हफ्ते, दस बजे, दस मिनट’ फुस्स साबित हो गया है और ना ही उन्होंने इससे निपटने की कोई रणनीति बनाई है और ना ही दिल्ली के इलाकों में फॉगिग अभियान चलाया है, जिसकी वजह से यह हालत हो गई है।