अमेरिकी खुफिया एजेंसियों को पता चला है कि संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में एक पोर्ट पर चीन चुपके से एक मिलिट्री सुविधा तैयार करने में जुटा हुआ था। चूंकि UAE मौजूदा वक्त में मिडिल ईस्ट में अमेरिका का सबसे करीबी सहयोगी है। ऐसे में जो बाइडेन प्रशासन ने UAE सरकार को चेतावनी दी है कि UAE में चीन की उपस्थिति दोनों देशों के संबंधों को खतरों में डाल सकती है। वॉल ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट बताती है कि अमेरिकी अधिकारियों द्वारा कई दौर की बैठकों और यात्राओं के बाद निर्माण काम को रोक दिया गया है।
रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी चेतावनियों का संबंध अबू धाबी की अमीराती राजधानी के पास एक बंदरगाह के एक साइट से है। अधिकारियों की मानें तो UAE सरकार को पोर्ट पर चीनी सैन्य गतिविधियों के बारे में कोई जानकारी नहीं थी।
मिडिल ईस्ट में अमेरिका को टक्कर दे रहा चीन?
हाल के सालों में मिडिल ईस्ट में अमेरिका और चीन के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ती जा रही है। अमेरिका दशकों तक इस क्षेत्र में केंद्रीय भूमिका निभा चुका है। इजरायल का गठन, सऊदी से संबंध, क्षेत्र में सैनिक जमा किए और हाल ही में अब्राहम समझौता आदि। हालांकि बीजिंग ने ट्रेड और वैक्सीन कूटनीति के जरिए इलाके में जगह बनाई है और सैन्य उपस्थिति के विस्तार में जुटा हुआ है।
हाल के सालों में चीन ने UAE के साथ अपने आर्थिक संबंधों को मजबूत किया है। मौजूदा वक्त में चीन UAE का सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर। बीजिंग खाड़ी के तेल का सबसे बड़ा उपभोक्ता भी है। UAE ने चीन की हुआवेई टेक्नोलॉजीज कंपनी के टेलिकॉम इन्फ्रास्ट्रक्चर को भी अपनाया है। हालांकि अमेरिकी अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि हुआवेई चीन सरकार के लिए जासूसी करती है लेकिन बीजिंग ने इस आरोप का खंडन किया है।
चीनी कारनामे का पता कैसे चला?
रिपोर्ट बताती है कि करीब एक साला पहले अबू धाबी से करीब 50 मील उत्तर में खलीफा बंदरगाह पर संदिग्ध चीनी गतिविधियों के संकेत दिखे थे। इसके बाद से अमेरिकी अधिकारियों ने खुफिया रिपोर्ट्स जमा करनी शुरू की। शुरुआत में बहुत ख़ास जानकारी नहीं मिल रही थी लेकिन सेटेलाइट इमेज के जरिए और अन्य इंटेल के जरिए अधिकारी इस नतीजे पर पहुंचे कि चीन बंदरगाह पर सैन्य स्थापना में जुटा हुआ है। इसके बाद अमेरिकी अधिकारियों ने UAE को समझाना शुरू किया और बताया कि इस साइट का मकसद मिलिट्री सेंट्रिक है। ऐसे में इस निर्माण को रोका जाना चाहिए।
मामले को लेकर UAE के वाशिंगटन दूतावास के प्रवक्ता ने बताया है कि UAE और चीन के बीच किसी सैन्य अड्डे या किसी और तरह के बेस या पोस्ट को लेकर कभी कोई वार्ता या समझौता नहीं हुई है। और न की ऐसी कोई योजना है या इरादा है। बता दें कि UAE अमेरिका के सबसे करीबी मध्य पूर्व सहयोगियों में से एक है, और दोनों देशों के बीच लंबे समय से व्यापार और सुरक्षा संबंध हैं। ऐसे में चीन की घुसपैठ अमेरिकी हितों के लिए खतरा बन गई है।