भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद वरुण गांधी (Varun Gandhi) ने तीन कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने की घोषणा के एक दिन बाद शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिख न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के लिए कानून बनाने और लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा ‘टेनी’ के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए कहा कि यह निर्णय यदि पहले ही ले लिया जाता तो 700 से अधिक किसानों की जान नहीं जाती।
अक्सर किसानों का मुद्दा उठाने वाले उत्तर प्रदेश की पीलीभीत सीट से सांसद वरुण गांधी ने आंदोलन के दौरान मारे गए लोगों के परिजन को एक-एक करोड़ रुपये का मुआवजा देने की भी मांग की है।
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री मोदी ने शुक्रवार की सुबह राष्ट्र को संबोधित करते हुए कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) कानून, कृषि (सशक्तीकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून और आवश्यक वस्तु संशोधन कानून, 2020 को निरस्त करने की घोषणा की। इसके साथ ही उन्होंने एमएसपी को प्रभावी और पारदर्शी बनाने के लिए एक समिति गठित किए जाने का भी ऐलान किया था।
वरुण गांधी ने ”बड़ा दिल” दिखाते हुए विवादास्पद कानूनों को निरस्त करने के लिए प्रधानमंत्री को साधुवाद दिया और उम्मीद जताई कि वह किसानों की अन्य मांगों पर भी ठोस निर्णय लेंगे।
एमएसपी पर कानून के बिना खत्म नहीं होगा किसानों का आंदोलन
प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में उन्होंने एमएसपी को कानूनी रूप से बाध्यकारी बनाने की किसानों के मांग का उल्लेख करते हुए कहा कि देश में 85 प्रतिशत से ज्यादा छोटे, लघु और सीमांत किसान हैं और उनके सशक्तिकरण के लिए उन्हें फसलों का लाभकारी मूल्य दिलवाना सुनिश्चित करना होगा। उन्होंने कहा कि यह आंदोलन इस मांग के निस्तारण के बिना समाप्त नहीं होगा और किसानों में एक व्यापक रोष बना रहेगा, जो किसी न किसी रूप में सामने आता रहेगा। अतः किसानों को फसलों की एमएसपी की वैधानिक गारंटी मिलना अत्यंत आवश्यक है। सरकार को राष्ट्रहित में इस मांग को भी तत्काल मान लेना चाहिए। इससे, किसानों को एक बहुत बड़ा आर्थिक सुरक्षा चक्र मिल जाएगा और उनकी स्थिति में व्यापक सुधार होगा। उन्होंने कहा कि एमएसपी का निर्धारण कृषि लागत मूल्य आयोग के ‘सी2 प्लस 50 प्रतिशत फार्मूले’ के आधार पर होना चाहिए।
मृतक किसानों को एक-एक करोड़ रुपये देने और फर्जी मुकदमे वापस की मांग
इसके साथ ही गांधी ने कहा कि इस आंदोलन में 700 से ज्यादा किसान भाइयों की शहादत भी हो चुकी है। मेरा मानना है कि यह निर्णय यदि पहले ही ले लिया जाता तो इतनी बड़ी जनहानि नहीं होती। उन्होंने कहा कि आंदोलन में मारे गए किसानों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए इनके परिजन को एक-एक करोड़ रुपये का मुआवजा भी दिया जाना चाहिए। उन्होंने आंदोलनकारियों पर दर्ज ‘फर्जी मुकदमों’ को भी वापस लेने की मांग की।
लखीमपुर खीरी हिंसा में लिप्त केंद्रीय मंत्री पर भी हो सख्त कार्रवाई
लखीमपुर खीरी हिंसा मामले को लोकतंत्र पर ‘काला धब्बा’ करार देते हुए भाजपा नेता ने कहा कि इस घटना में निष्पक्ष जांच एवं न्याय के लिए इसमें लिप्त एक केंद्रीय मंत्री पर भी सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मेरा विश्वास है कि किसानों की उपरोक्त अन्य मांगों को मांग लेने, लखीमपुर खीरी की घटना में न्याय का मार्ग प्रशस्त करने से आपका सम्मान देश में और बढ़ जाएगा। मुझे आशा है कि इस विषय में भी आप ठोस निर्णय लेंगे।
ज्ञात हो कि इन कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले लगभग एक साल से राजधानी दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर खासकर पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान आंदोलन कर रहे हैं। तीनों कानूनों को निरस्त करने की घोषणा का स्वागत करते हुए किसान संगठनों ने भी एमएसपी के लिए कानून बनाने, आंदोलन में मारे गए किसानों के लिए मुआवजे सहित कुछ अन्य मांगें रखी हैं।