केन्द्र सरकार द्वारा विवादित तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा के बाद जहां किसानों में खुशी का माहौल है, वहीं विपक्षी दल इसे किसानों के संघर्ष की जीत बता रहे हैं। केंद्र के इस कदम के बाद अब नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी के विरोध में महीनों तक आंदोलन कर चुके लोगों के मन में भी इन कानूनों की वापसी को लेकर एक नई उम्मीद जगने लगी है। हालांकि, यह इतना आसान नहीं दिखता।
केंद्रीय मंत्री कौशल किशोर ने शनिवार को कहा कि विपक्ष को प्रधानमंत्री के कृषि कानूनों को वापस लेने के फैसले का स्वागत करना चाहिए। कृषि कानून वापस लेने के बाद विपक्ष के पास अब कोई मुद्दा नहीं है। विपक्ष सोच रहा है कि कृषि कानून वापस हो गए तो CAA-NRC भी वापस हो जाएगा। जो लोग CAA-NRC वापस करने की मांग कर रहे हैं, वे गलतफहमी के शिकार हैं। केंद्रीय कैबिनेट में आवास एवं शहरी कार्य राज्यमंत्री का पद संभाल रहे कौशल किशोर उत्तर प्रदेश की मोहनलाल गंज सीट से भाजपा सांसद हैं।
जानकारी के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को गुरु पर्व के अवसर पर राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में केंद्र के तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त करने की अचानक घोषणा करने के साथ ही इन कानूनों के फायदे किसानों को नहीं समझा पाने के लिए जनता से माफी मांगी। प्रधानमंत्री ने कहा था कि तीनों कृषि कानून किसानों के फायदे के लिए थे, लेकिन हमारे सर्वश्रेष्ठ प्रयासों के बावजूद हम किसानों के एक वर्ग को मना नहीं पाए। उन्होंने कहा कि तीन कृषि कानूनों का लक्ष्य किसानों, खासकर छोटे किसानों को सशक्त बनाना था। हालांकि, गाजीपुर में प्रदर्शन की अगुवाई कर रहे भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) ने यह साफ कर दिया है कि संसद में कानूनों को निरस्त किए जाने तक विरोध समाप्त नहीं होगा।
कृषि कानूनों के बाद अब सीएए को भी निरस्त किया जाए: जमीयत
देश के प्रमुख मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा के बाद शुक्रवार को कहा था कि अब सरकार को नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को भी निरस्त कर देना चाहिए। वहीं, अमरोहा से बसपा के लोकसभा सांसद कुंवर दानिश अली ने भी कहा कि प्रधानमंत्री को सीएए को निरस्त करने के बारे में भी तत्काल विचार करना चाहिए।
जमीयत के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने एक बयान में कहा था कि हम तीनों कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की घोषणा का स्वागत करते हैं। किसानों को हम मुबारकबाद देते हैं। उनके मुताबिक, किसान आंदोलन को भी कहीं न कहीं सीएए विरोधी आंदोलन से प्रेरणा मिली।
मौलाना मदनी ने कहा कि हमारे प्रधानमंत्री सही कहते हैं कि हमारे देश का ढांचा लोकतांत्रिक है। ऐसे में अब उन्हें उन कानूनों की ओर भी ध्यान देना चाहिए, जो मुसलमानों से जुड़े हैं। कृषि कानूनों की तरह सीएए को भी वापस लिया जाए।
दिल्ली में हुए थे साम्प्रदायिक दंगे
गौरतलब है कि नागरिकता संशोधन कानून के समर्थकों और विरोधियों के बीच संघर्ष के बाद पिछले साल 24 फरवरी 2020 को उत्तर-पूर्वी दिल्ली के जाफराबाद, मौजपुर, बाबरपुर, घोंडा, चांदबाग, शिव विहार, भजनपुरा, यमुना विहार इलाकों में साम्प्रदायिक दंगे भड़क गए थे। इस हिंसा में कम से कम 53 लोगों की मौत हो गई थी और लगभग 700 अन्य घायल हुए थे। साथ ही सरकारी और निजी संपत्ति को भी काफी नुकसान पहुंचा था। उग्र भीड़ ने मकानों, दुकानों, वाहनों, एक पेट्रोल पम्प को फूंक दिया था और स्थानीय लोगों तथा पुलिस कर्मियों पर पथराव किया था।
दिल्ली पुलिस द्वारा साम्प्रदायिक दंगों को लेकर 750 से अधिक मामले दर्ज किए गए थे। दंगों से जुड़े मामलों में अब तक 250 से ज्यादा चार्जशीट दाखिल की जा चुकी हैं, जिनमें कई आरोपियों को चार्जशीट किया जा चुका है।