किसान आंदोलन का ऐतिहासिक केंद्र रहे, दिल्ली की सीमा पर स्थित-गाजीपुर में तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने की घोषणा के बाद शुक्रवार को सुबह जश्न का माहौल देखने को मिला। हालांकि, गाजीपुर में प्रदर्शन की अगुवाई कर रहे भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) ने कहा कि संसद में कानूनों को निरस्त किए जाने तक विरोध समाप्त नहीं होगा।
सैकड़ों किसानों को उनके साल भर चले प्रदर्शन के बाद मिली आधी जीत का जश्न मनाते और दिल्ली-उत्तर प्रदेश की सीमा पर एक-दूसरे को मिठाई खिलाते देखा गया। बीकेयू के प्रवक्ता सौरभ उपाध्याय ने कहा कि हमारी दो मुख्य मांगें थी। सभी तीन कृषि कानून रद्द किए जाएं और नये कानून के माध्यम से फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) सुनिश्चित करने के लिए वैधानिक गारंटी दी जाए। हमारा प्रदर्शन तब तक जारी रहेगा जब तक दोनों मांगें नहीं मान ली जाती।
गुरु नानक जयंती के अवसर पर राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि तीन कृषि कानून किसानों के फायदे के लिए थे लेकिन हमारे सर्वश्रेष्ठ प्रयासों के बावजूद हम किसानों के एक वर्ग को मना नहीं पाए। उन्होंने कहा कि तीन कृषि कानूनों का लक्ष्य किसानों, खासकर छोटे किसानों को सशक्त बनाना था। बीकेयू के गौतम बुद्ध नगर से पदाधिकारी, सुनील प्रधान ने कहा कि शाम तक गाजीपुर में भीड़ और बढ़ने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि कई लोग कार्तिक मेला में शामिल होने के लिए गढ़ मुक्तेश्वर गए हैं और गंगा में डुबकी लगाकर वापस आएंगे।
प्रधान ने कहा कि यहां गाजीपुर में जश्न पहले से ही शुरू हो गया है। लेकिन यह केवल आधी जीत है क्योंकि एमएसपी पर कानून समेत अन्य मुद्दों पर घोषणा अब भी बाकी है। बीकेयू ने कहा कि प्रदर्शन पर आगे फैसला संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) द्वारा लिया जाएगा। बीकेयू संयुक्त किसान मोर्चा का हिस्सा है जो दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन की अगुवाई कर रहे किसान संगठनों का समूह है।