संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार, अफगानिस्तान में अफीम का उत्पादन लगातार पांचवें वर्ष 6,000 टन के आंकड़े को पार कर गया है। अफीम की इतनी प्रचूर मात्रा में उत्पादन युद्धग्रस्त राष्ट्र को वैश्विक नशीली दवाओं के व्यापार का केंद्र बनने से रोकने के प्रयासों को कमजोर करता है।
देश ने 2021 में 6,800 टन का उत्पादन किया है। आपको बता दें कि इसी साल अगस्त महीने में यहां तालिबान का राज कायम हुआ है। तालिबान ने सितंबर में ही अफीम की कीमतों को बढ़ा दिया। रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल उत्पादन में 8 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। अफगानिस्तान में बढ़ती गरीबी और खाद्य असुरक्षा के बीच कीमतों में बढ़ोतरी के कारण खेती के लिए प्रोत्साहन बढ़ा है।
सोमवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया है, “2022 में अफीम की फसल नवंबर 2021 में किसानों द्वारा लिए गए निर्णयों पर आधारित होगी।” आपको बता दें कि अफगानिस्तान में अगले साल के लिए अफीम की बुवाई शुरू कर रहे हैं।”
अफगानिस्तान दुनिया का सबसे बड़ा अफीम उत्पादक है, जो वैश्विक उत्पादन का लगभग 87% हिस्सा है। देश में नशीली दवाओं के अवैध उत्पादन को रोकने के लिए यू.एस. द्वारा 9 अरब डॉलर के निवेश और दो दशक के प्रयास के बावजूद इसमें कोई कमी नहीं आ सकी। अफीम अफगान में अवैध गतिविधियों का सबसे बड़ा हिस्सा भी है। यहां की अर्थव्यवस्था लंबे समय से विदेशी सहायता और अफीम की बिक्री पर निर्भर है।
रिपोर्ट में कहा गया है, “अफगानिस्तान में अफीम से होने वाली आय 2021 में करीब 1.8 से लेकर 2.7 अरब डॉलर थी।”
अफीम कच्चे खसखस की फली के रस से निकलती है। सैप एक भूरे रंग के लेटेक्स में सूख जाता है जिसमें अल्कलॉइड होते हैं जो हेरोइन, मेथामफेटामाइन, मॉर्फिन और कोडीन सहित कई मादक और नशीली दवाओं का उत्पादन करते हैं।