मंगलवार को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच बहुप्रतीक्षित बैठक संपन्न हुई। इस बैठक में ताइवान की आजादी, रणनीतिक, व्यापक महत्व और पारस्परिक हितों को लेकर गहन चर्चा हुई। बैठक में ताइवान का मुद्दा हावी रहा। बाइडेन ने शी जिनपिंग से कहा कि ताइवान पर किसी भी तरह की जबरदस्ती का अमेरिका मजबूती से विरोध करेगा। वहीं, चीन ने जवाब में अमेरिका को चेतावनी दी कि ताइवान की आजादी की बात करना आग से खेलने के बराबर है, जो इस आग से खेलेगा वो जल जाएगा।
विश्व की दो बड़ी ताकतों अमेरिका और चीन के बीच मंगलवार को बहुप्रतिक्षित बैठक हुई। तीन घंटे से भी ज्यादा वक्त तक दोनों नेताओं के बीच कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा हुई। ताइवान में आजादी को लेकर दोनों नेताओं के बीच तल्खी भी साफ नजर आई। एएनआई के मुताबिक, शी ने बैठक में कहा कि ताइवान पर चीन के दृढ़ संकल्प को मजबूर किया जा रहा है। बाहरी ताकतें ताइवान की आजादी के लिए सामने आ रहे हैं। शी ने दोहराया कि ताइवान चीन का अभिन्न अंग है। अगर कोई रेखा को पार करेगा तो हम कार्रवाई के लिए मजबूर हो जाएंगे।
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने इस बात पर जोर दिया कि ताइवान के कुछ अधिकारी अमेरिकी समर्थन का प्रयास कर रहे हैं। इस तरह की हरकतें बेहद खतरनाक हैं। शी ने कहा कि ये आग से खेलने जैसा है, जो आग से खेलेगा वो जल जाएगा। शी ने जोर देकर कहा कि दोनों देशों को नए युग के साथ आगे आना चाहिए लेकिन तीन सिद्धांतों का पालन करना होगा।
सिद्धातों को गिनाते हुए शी ने कहा, “सबसे पहले आपसी सम्मान। दोनों देशों को एक-दूसरे की सामाजिक व्यवस्था और विकास पथ, मूल हितों और प्रमुख चिंताओं का सम्मान करने और एक-दूसरे के विकास के अधिकार का सम्मान करने की आवश्यकता है। दूसरा, शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व। कोई संघर्ष और टकराव की रेखा दोनों देशों को पार नही करनी है। तीसरा है सहयोग। दोनों देशों के व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से विकसित होने के लिए दुनिया काफी बड़ी है।”
बैठक के बाद व्हाइट हाउस ने प्रेस रिलीज जारी किया और कहा कि अमेरिका वन चाइना पॉलिसी को लेकर प्रतिबद्ध है। वन चाइना पॉलिसी को मानने वाले देश इसे स्वीकार करते हैं कि ताइवान चीन का हिस्सा है। पिछले महीने बाइडेन ने कहा था कि चीन अगर ताइवान पर हमला करेगा तो अमेरिका ताइवान के बचाव के लिए आगे आएगा।
बैठक के दौरान बाइडेन ने झिंजियांग, तिब्बत और हांगकांग में चीन के रूख पर चिंता जताई। बाइडेन ने एक स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत के महत्व पर भी चर्चा की और कहा कि इस क्षेत्र में अपनी प्रतिबद्धताओं को बनाए रखने के लिए अमेरिका दृढ़ संकल्पित है। दोनों नेताओं ने जलवायु परिवर्तन पर भी चिंता जताई। साथ ही अफगानिस्तान की मौजूदा स्थिति और ईरानी परमाणु कार्यक्रम पर भी चर्चा की। व्हाइट हाउस ने प्रेस रिलीज में बताया, “दोनों नेताओं ने डीपीआरके (उत्तर कोरिया), अफगानिस्तान और ईरान सहित प्रमुख क्षेत्रीय चुनौतियों पर भी विचारों रखे।
दोनों नेताओं के बीच यह बैठक ताइवान, व्यापार और मानवाधिकारों के मुद्दों पर जारी तनाव की बीच हुई है। शी जिनपिंग से राष्ट्रपति बाइडेन ने कहा कि दोनों देशों की यह जिम्मेदारी है कि अपनी प्रतिद्वंद्विता को टकराव की ओर नहीं जाने दें। जनवरी में अमेरिकी सत्ता संभालने के बाद बाइडेन और शी जिनपिंग की इस वार्ता को काफी महत्वपूर्ण बताया जा रहा है।