दिवाली के बाद से ही ‘जहरीली’ हुई हवा से दिल्ली-एनसीआर के लोगों की सांसों पर संकट गहराने लगा है। वहीं, पराली जलने से दिल्ली से सटे गौतमबुद्ध नगर जिले की आबोहवा अब और दमघोंटू हो गई है। शनिवार सुबह नोएडा में वायु गुणवत्ता आज ‘खतरनाक’ श्रेणी में पहुंच गई। घनी धुंध के कारण शनिवार सुबह से ही सड़कों पर विजिबिलिटी कम रही। वायु गुणवत्ता और मौसम पूर्वानुमान और अनुसंधान प्रणाली (SAFAR) के मुताबिक, आज नोएडा का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 772 दर्ज किया गया, जो शुक्रवार को 488 था। उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, हवा को जहरीली बनाने में पराली के धुएं की हिस्सेदारी 15 प्रतिशत तक बढ़ गई है।
वैसे तो वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए जिले में ग्रैप लागू है, लेकिन धरातल पर इसका कोई प्रभाव दिखाई नहीं पड़ रहा है। जिला प्रशासन की सख्ती के बावजूद जिले में पराली व कूड़ा जलाया जा रहा है। सैटेलाइट के जरिए प्रशासन को मिली जानकारी के अनुसार, दिवाली के बाद से अब तक आग लगाने की 16 घटनाएं सामने आ चुकी हैं। इनमें से चार घटनाएं पराली जलाने की हैं। पड़ोसी राज्य व जिलों में भी पराली जलने का असर शहर की आबोहवा पर पड़ रहा है।
इसके साथ ही सड़कों पर उड़ने वाली धूल, निर्माणाधीन साइटों, सेक्टर व सोसायटी में खुले में रखी निर्माण सामग्री भी लोगों के लिए परेशानी का सबब बनी है। प्रदूषण के चलते अस्पतालों की ओपीडी में पहुंचने वाले अस्थमा के मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है। इसके अलावा आंखों में जलन, नाक में खुजली, नाक बंद होने की समस्या भी बढ़ गई है।
उल्लेखनीय है कि शून्य से 50 के बीच एक्यूआई को “अच्छा”, 51 से 100 के बीच में “संतोषजनक”, 101 से 200 के बीच “मध्यम”, 201 से 300 तक “खराब”, 301 से 400 के बीच में “बेहद खराब” तथा 401 से 500 के बीच “गंभीर” माना जाता है।
वहीं, शून्य से 50 मीटर के बीच दृश्यता होने पर कोहरा ‘बेहद घना’, 51 से 200 मीटर के बीच ‘घना’, 201 से 500 के मीटर के बीच ‘मध्यम’ और 501 से 1000 के बीच दृश्यता होने पर कोहरे को ‘हल्का’ माना जाता है।
सीपीसीबी ने दी लोगों को बाहर जाने से बचने की सलाह
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने लोगों को घरों से बाहर जाने से बचने की शुक्रवार को सलाह दी और सरकारी और निजी कार्यालयों को राजधानी दिल्ली में गंभीर वायु प्रदूषण के कारण वाहनों के उपयोग को 30 प्रतिशत तक कम करने का निर्देश दिया। सीपीसीबी ने एक आदेश में कहा कि दिन में पहले हुई एक समीक्षा बैठक में यह देखा गया कि 18 नवंबर तक रात के दौरान कम हवाओं के कारण प्रदूषकों के छितराने के लिए मौसम संबंधी स्थितियां अत्यधिक प्रतिकूल रहेंगी।
सीपीसीबी ने कहा कि सरकारी और निजी कार्यालयों और अन्य प्रतिष्ठानों को सलाह दी जाती है कि वे वाहन के उपयोग को कम से कम 30 प्रतिशत (घर से काम करके, कार-पूलिंग, बाहरी गतिविधियों को सीमित करके, आदि) तक कम करें।
सीपीसीबी ने कहा कि कार्यान्वयन एजेंसियों को उचित स्तर पर की गई कार्रवाइयों की बारीकी से निगरानी करनी चाहिए और प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों और संबंधित समितियों को दैनिक रिपोर्ट प्रस्तुत करनी चाहिए जो वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) और सीपीसीबी को रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। उसने कहा कि संबंधित एजेंसियों को ग्रैप (श्रेणीबद्ध प्रतिक्रिया कार्य योजना) के अनुसार ‘आपातकालीन’ श्रेणी के तहत उपायों के कार्यान्वयन के लिए पूरी तरह से तैयार रहना चाहिए।