कोरोना वायरस किडनी के मरीजों में फेफड़े की तरह खून का थक्का जमा रहा है। कोरोना संक्रमण से कई लोगों की किडनी फेल हो गई तो दर्जनों लोगों को डायलिसिस तक कराना पड़ा। यहां तक एक किडनी के मरीज की तो मौत भी हो गई थी।
मायागंज अस्पताल में कोरोना की दूसरी लहर में अस्पताल में भर्ती हुए किडनी व कोरोना के मरीजों के इलाज पर अध्ययन करने के बाद मायागंज अस्पताल के मेडिसिन विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. राजकमल चौधरी इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि कोरोना के वायरस ने न केवल ह्रदय के ब्लॉकेज, बल्कि किडनी की धमनियों में भी खून के थक्के जमा दिये। बकौल डॉ. चौधरी, एसीई (एंजियोटेंसिन कन्वर्टिंग एंजाइम) टू के जरिये कोरोना का वायरस किडनी के मरीजों की किडनी तक पहुंचकर वहां पर ब्लॉकेज कर दे रहा है।
किडनी में ब्लॉकेज बढ़ने के कारण मरीजों के खून में सीरम क्रिएटनिन का लेवल बढ़ गया था। एक्यूट किडनी इंज्यूरी के मरीजों में सीरम क्रिएटनिन का लेवल जहां सात से 16 एमजी प्रति डेसीलीटर के खतरनाक स्तर तक बढ़ा पाया गया तो क्रॉनिक किडनी डिजीज के मरीजों में सीरम क्रिएटनिन लेवल पांच से 12 एमजी प्रति डेसीलीटर तक बढ़ा पाया गया।
एक स्वस्थ व्यक्ति के खून में सीरम क्रिएटनिन अगर 0.2 से 1.2 एमजी प्रति डेसीलीटर के बीच रहता है तो ये सामान्य है। उन्होंने बताया कि किडनी में ब्लॉकेज होने से किडनी फेल्योर होने की आशंका बहुत ज्यादा बढ़ जाती है। ऐसे में किडनी के मरीजों को कोरोना संक्रमण के दौरान अपनी सेहत को लेकर बहुत ही सजग-सतर्क रहना होगा।
आईसीयू में भर्ती हर सातवां कोरोना संक्रमित किडनी का बीमार
कोरोना की दूसरी लहर यानी अप्रैल 2021 से लेकर अब तक में मायागंज अस्पताल में कुल 8000 कोरोना संक्रमित भर्ती हुए थे। इनमें से 460 कोरोना मरीजों को तो आईसीयू में भर्ती करना पड़ा था। इनमें से 34 (7.39 प्रतिशत) मरीज सीकेडी (क्रॉनिक किडनी डिजीज) या एकेडी (एक्यूट किडनी इंज्यूरी) के थे। यानी इस दौरान आईसीयू में भर्ती होने वाला हर सातवां कोरोना संक्रमित मरीज किडनी का बीमार था। आईसीयू में भर्ती 34 किडनी के मरीजों में से सात मरीज एक्यूट किडनी इंज्यूरी के तो 27 मरीज क्रॉनिक किडनी डिजीज के थे। ये रिपोर्ट इस बात की गवाही देती है कि कोरोना के वायरस ने किडनी को जितना चोट पहुंचाया, उससे कहीं ज्यादा किडनी के मरीजों में ब्लॉकेज पैदा करके उनकी हालत को अतिगंभीर बना दिया।
किडनी में खून का थक्का जमने का ये हैं लक्षण
– पेशाब कम मात्रा में होना
– सीरम क्रिएटनिन का स्तर बढ़ जाना, सीरम क्रिएटनिन का स्तर 0.2 से 1.2 एमजी प्रति डेसीलीटर
– इलेक्ट्रोलाइट (सोडियम एवं पोटेशियम) का असंतुलित होना
– खून की कमी होना
– पैर में सूजन व पेट में पानी का भरना
अगर किसी व्यक्ति में पेशाब कम मात्रा में हो या फिर पैर में सूजन आदि का लक्षण दिखे तो तत्काल उसे अपनी किडनी की जांच करानी चाहिए। अगर समय रहते किडनी की समस्या डायग्नोसिस हो जाती है तो कोरोना संक्रमण की स्थिति में उसकी हालत को गंभीर होने से बचाया जा सकता है।
डॉ. राजकमल चौधरी, एसोसिएट प्रोफेसर, जेएलएनएमसीएच