हरिद्वार महाकुंभ के दौरान हुए कोरोना जांच फर्जीवाड़े की विभागीय जांच अटक गई है। विभागीय जांच अधिकारी को अभी तक इस फर्जीवाड़े से जुड़े दस्तावेज नहीं मिल पाने की वजह से दो महीने से जांच शुरू नहीं हो पाई है। हरिद्वार महाकुंभ के दौरान कोरोना जांच में भारी गड़बड़ी सामने आई थी। मामले की जांच के बाद मेला अधिकारी, स्वास्थ्य और अपर मेला अधिकारी स्वास्थ्य को निलंबित कर दिया था।
इन दोनों के इस मामले में जुड़े होने और संलिप्तता को लेकर विभागीय जांच के भी आदेश हुए थे। पहले नामित किए गए जांच अधिकारी ने जांच से इंकार कर दिया था। लेकिन दूसरे जांच अधिकारी को दस्तावेज ही नहीं मिल पा रहे हैं। सचिव स्वास्थ्य अमित नेगी ने बताया कि जांच जल्द पूरी कर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। सूत्रों के अनुसार इस मामले के टेंडर में भारी अनियमितता हुई है। इसलिए कुछ और अफसरों पर भी गाज गिर सकती है।
पंत दंपति के मुलाकातियों पर टिकी पुलिस की नजर
कोरोना जांच घोटाले के मुख्य आरेापी मैक्स सर्विसेज कार्पोरेट के पार्टनर पंत दंपति से बिना आरटीपीसीआर रिपोर्ट के मुलाकात संभव नहीं है। खुफिया विभाग एवं एसआईटी भी उनके मुलाकातियों पर निगाहें गढ़ाए हुए है और जेल प्रशासन से संपर्क साधे हुए है। सोमवार को कोरोना जांच घोटाले के मुख्य आरोपी शरत पंत एवं उसकी पत्नी मल्लिका पंत को एसआईटी ने नोएडा गौतमबुद्धनगर में उनके घर से गिरफ्तार कर लिया था।
एसआईटी घोटाले के मुख्य आरोपी दंपति को हरिद्वार ले आई थी, जहां एसएसपी डॉ योगेंद्र सिंह रावत से लेकर आला अधिकारियों ने घोटाले के संबंध में दंपति से पूछताछ की थी। दोपहर को एसआईटी ने दंपति को कोर्ट में पेश कर जेल में शिफ्ट कर दिया था। मंगलवार को दूसरे दिन पंत दंपति से कोई मुलाकात करने नहीं पहुंचा लेकिन उनकी पहली रात जेल मुश्किल रही। मल्लिका को महिलाओं की गंगा बैरक, जबकि पति शरत पंत को सामान्य बैरक में शिफ्ट किया गया है।
इधर, पंत दंपति से जेल में मुलाकात के लिए पहुंचने वाले हर शख्स पर एसआईटी एवं एलआईयू की नजर रहेगी। पुलिस महकमा लगातार जेल प्रशासन के संपर्क में बना हुआ है। जेल अधीक्षक मनोज आर्य ने बताया कि बिना आरटीपीसीआर के मुलाकात संभव नहीं है।