नोएडा में धरनारत किसान मंगलवार से नोएडा प्राधिकरण की परियोजनाओं के काम को रोकेंगे। वे काम तब तक शुरू नहीं होने देंगे, जब तक प्राधिकरण उनकी मांगों को नहीं मानेगा। यह फैसला सोमवार को हरौला के बारातघर में किसानों की हुई महापंचायत में लिया गया। जनप्रतिनिधियों का घेराव भी किया जाएगा। महापंचायत में किसानों के अलावा सपा, बसपा, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी (आप) के नेता और किसान संगठनों के प्रतिनिधि भी पहुंचे।
शहर के किसान 70 दिन से हरौला के बारातघर में धरने पर बैठे हैं। भारतीय किसान परिषद के बैनर तले किसान धरना दे रहे हैं। सोमवार दोपहर करीब साढ़े बारह बजे महापंचायत शुरू हुई, जो शाम करीब चार बजे तक चली। भारतीय किसान परिषद के अध्यक्ष सुखबीर खलीफा ने बताया कि महापंचायत में फैसला हुआ है कि चरणबद्ध तरीके से आगे काम किया जाएगा। मंगलवार से नोएडा विकास प्राधिकरण की परियोजनाओं का काम बंद कराया जाएगा।
उन्होंने बताया कि अगले चरण में जनप्रतिनिधियों का घेराव किया जाएगा और फिर नोएडा प्राधिकरण पर धरना दिया जाएगा और जब तक समस्याओं का समाधान नहीं हो जाता तब तक अधिकारियों को न तो प्राधिकरण कार्यालय में घुसने दिया जाएगा और न ही कोई काम करने दिया जाएगा।
महापंचायत में सपा के एमएलसी जितेंद्र यादव ने कहा कि मैंने पहले भी किसानों की समस्याओं को विधान परिषद में उठाया था और अब दोबारा से उठाऊंगा और तब तक तक उठाता रहूंगा जब तक मांगें पूरी नहीं हो जाएंगी। महापंचायत में सपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजकुमार भाटी, आम आदमी पार्टी (आप) के दिल्ली से विधायक मदन लाल, नोएडा विधानसभा से ‘आप’ के प्रत्याशी पंकज अवाना, दादरी के पूर्व विधायक व बसपा के वरिष्ठ नेता सतवीर गुर्जर, दादरी विधानसभा से बसपा के प्रभारी मनवीर भाटी, सिकंद्राबाद से जिला पंचायत सदस्य रामफूल प्रधान उपस्थित रहे। भारतीय किसान यूनियन भानू से बेगराज गुर्जर, भारतीय किसान यूनियन टिकैत से मुखिया गुर्जर उपस्थित रहे। धरनास्थल पर सभी लोगों ने किसान परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुखबीर खलीफा को आश्वस्त किया है कि ढाई महीने से धरना अनुशासन व एकता से चल रहा है, ऐसे में जीत निश्चित होगी।
धरने ने राजनीतिक रूप लिया
अभी तक धरने में किसान ही आ रहे थे, लेकिन सोमवार को महापंचायत में नेताओं के आने के भी कारण इसने राजनीतिक रूप ले लिया है। प्रदेश में चार-पांच महीने के अंदर विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में विपक्षी नेताओं को भी किसानों के माध्यम से भाजपा के खिलाफ मुद्दा मिल गया है।
बोर्ड बैठक और शासन के बीच मामला अटक रहा
किसानों की मांग है कि जहां है, जैसी की तर्ज पर आबादी छोड़ी जाए, 10 प्रतिशत भूखंड देने और गांवों में नक्शा नीति लागू करने आदि मांगों को बोर्ड बैठक में मंजूरी देकर शासन को भेजा जाए। वहीं, प्राधिकरण अधिकारियों का कहना है कि वह संबंधित मांगों को पूरा कराने के लिए शासन को पत्र लिखने को तैयार हैं, लेकिन किसानों को यह मंजूर नहीं है। ऐसे में यह मामला फंस रहा है।