लेसा, मीटर रीडर और कार्यदायी संस्था की खींचतान के बीच बिजली उपभोक्ता फंस गये हैं। मीटर रीडरों ने वेतन के मुद्दे पर हड़ताल कर दी है जिससे इस महीने मीटर रीडिंग का काम ठप है। नतीजतन एक लाख उपभोक्ताओं के बिल नहीं बन पाये हैं। परेशान उपभोक्ता जूनियर इंजीनियर से लेकर अधिशासी अभियंता तक शिकायत कर रहे हैं क्योंकि मीटर रीडिंग में एक से दो दिन की देरी होते ही बिल का स्लैब बदल जाता है। जिससे उपभोक्ताओं को अधिक बिल देना पड़ेगा। वहीं मध्यांचल निगम के एमडी सूर्यपाल गंगवार ने कार्यदायी संस्था को जल्द से जल्द मीटर रीडिंग का काम शुरू करने का आदेश दिया है लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ।
लेसा में बिजली उपभोक्ताओं के परिसर में मीटर रीडिंग की तारीख तय होती है। मीटर रीडर को उसी तारीख पर हर महीने रीडिंग करनी होती है। विभागीय अधिकारियों के मुताबिक रोजाना 20 हजार उपभोक्ताओं के परिसर में मीटर रीडिंग होती है। इस महीने कार्यदायी संस्था और मीटर रीडरों के बीच वेतन के मुद्दे पर विवाद है। नतीजतन मीटर रीडरों ने हड़ताल कर दी है जिससे उपभोक्ताओं के घरों में मीटर रीडिंग का काम शुरू नहीं हो पाया है।
उदाहरण के तौर पर चौपटिया निवासी मुकेश अवस्थी का एक किलोवाट का घरेलू कनेक्शन है। हर महीने 03 तारीख को रीडिंग होती है। उनकी खपत महीने में लगभग 90 यूनिट होती है। जिससे तीन रुपये यूनिट के हिसाब से बिल बनता है लेकिन इस महीने अभी तक रीडिंग नहीं हो पायी है, जिससे रीडिंग 100 के ऊपर चली गई है। जिससे उनका बिल 5.50 रुपये के हिसाब से बिल बनेगा। इसी प्रकार की समस्या लेसा के अन्य उपभोक्ताओं की है।
स्लैब बदलते ही बढ़ जाती है बिजली की दर
पावर कॉरपोरेशन में बिजली बिल प्रति यूनिट खपत के मान से तय होता है। खपत के हिसाब से अलग-अलग स्लैब तय हैं। दो किलोवाट घरेलू उपभोक्ताओं के यहां शून्य से 150 यूनिट तक खपत पर 5.50 रुपए प्रति यूनिट बिल बनता है। 151 से 300 तक 6.00 रुपए प्रति यूनिट चार्ज होता है। इसी तरह 301 से 500 यूनिट पर 6.50 रुपए है और 500 यूनिट से अधिक 7.00 रुपये प्रति यूनिट बिल की गणना होती है। इसमें नियत प्रभार भी यूनिट के हिसाब से लिया जाता है। मीटर रीडिंग में एक दिन देरी से यह प्रभार भी बढ़ जाता है।
मीटर का वीडियो बनाकर बिल भेजें
मध्यांचल निगम के एमडी सूर्यपाल गंगवार ने बताया कि यदि किसी उपभोक्ता के यहां मीटर रीडिंग नहीं हो पायी है तो ऐसे उपभोक्ता स्वयं मीटर का वीडियो बनाकर संबंधित अधिशासी अभियंता और एसडीओ को भेजकर बिल बनवा सकते हैं। इसके अलावा टोल फ्री नंबर 1912 पर शिकायत कर सकते हैं।
मध्यांचल निगम के प्रबंध निदेशक सूर्यपाल गंगवार ने बताया, छह तारीख तक 18-20 मीटर रीडिंग हो जाती है लेकिन कार्यदायी संस्था ने नहीं की है। नोटिस भेजा है। यदि एक से दो दिनों में शुरू नहीं हुई तो कार्यवाही होगी।