दिल्ली-एनसीआर में जारी वायु प्रदूषण ने बुजुर्गों और बच्चों के साथ ही बीमार लोगों की परेशानियां और बढ़ा दी हैं। मेदांता अस्पताल में इंस्टीट्यूट ऑफ चेस्ट सर्जरी विभाग के अध्यक्ष डॉ. अरविंद कुमार ने रविवार को वायु प्रदूषण पर काबू पाने के लिए स्मॉग टॉवर लगाना जनता के पैसे की भारी बर्बादी करार देते हुए एक बड़ी गलती बताया है। यह वायु को प्रदूषित होने से बचाने में मददगार नहीं है। उन्होंने कहा कि वायु प्रदूषण को गंभीरता से लिए जाने की जरूरत है, क्योंकि कोरोना से ज्यादा प्रदूषण ने लोगों की जान ली है।
इसके साथ ही डॉ. अरविंद कुमार ने कहा कि बच्चे वायु प्रदूषण का अधिक सामना कर रहे हैं, जो काफी खतरनाक है। उन्होंने कहा कि लंग केयर फाउंडेशन में हमारे अध्ययन के अनुसार, 50% से अधिक किशोरों में छाती रोग के लक्षण अधिक होते हैं, 29% को अस्थमा होता है, 40% मोटापे से ग्रस्त होते हैं (20% अस्थमा की शिकायत अधिक होती है)।
पुरानी बीमारियों से ग्रसित लोग और बच्चे वायु प्रदूषण की चपेट में : डॉ. नरेश त्रेहान
वहीं, मेदांता अस्पताल के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक डॉ नरेश त्रेहन ने शनिवार को कहा था कि पुरानी बीमारियों से ग्रस्त लोग और बच्चे वायु प्रदूषण के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं। डॉ. त्रेहन ने कहा कि वायु प्रदूषण न केवल फेफड़ों को बल्कि शरीर के अन्य हिस्सों को भी प्रभावित कर रहा है। प्रत्येक व्यक्ति जिसे हृदय रोग जैसी कोई पुरानी समस्या है, वह अत्यधिक पीड़ित होगा। प्रदूषण सीधे उस व्यक्ति की सांस को प्रभावित करता है, जहां आप इन सभी विषाक्त पदार्थों को अपने फेफड़ों में ले जा रहे हैं। इसके कारण आपका ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है, यदि आप पहले से ही दिल के दौरे की स्थिति से पीड़ित हैं तो आपके दिल की धड़कन बढ़ सकती है।
डॉ. त्रेहन ने बच्चों के स्वास्थ्य पर वायु प्रदूषण के प्रभावों पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि लोग सिरदर्द, सांस लेने में तकलीफ की शिकायत कर रहे हैं, खासकर जिन्हें अस्थमा और फेफड़ों की अन्य पुरानी बीमारियां हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि छोटे बच्चे बहुत कमजोर होते हैं। वे उस अवस्था में होते हैं जब उनका मस्तिष्क विकसित हो रहा होता है और सभी उत्सर्जन से निकलने वाले नाइट्रिक विषाक्त पदार्थ उनके मस्तिष्क के विकास को प्रभावित करते हैं, इसलिए मुझे लगता है कि इसे पूरी गंभीरता से लिया जाना चाहिए। उन्होंने बार-बार होने वाली समस्या को रोकने के लिए निर्णायक और ठोस उपाय करने का आह्वान किया।
डॉ. त्रेहन ने कहा कि वायु प्रदूषण साल दर साल हो रहा है और हर साल इस समय के आसपास हम इस तरह की चर्चा करते हैं, लेकिन दुर्भाग्य से इसे कभी भी सही ढंग से नहीं लिया गया है। इस पर काबू पाने के लिए निर्णायक कार्रवाई की जानी चाहिए ताकि फिर से ऐसा न हो। क्योंकि जब इस तरह से होता है और लोग बीमार होते हैं, वह क्षति स्थायी होती है।