अब लगभग तय हो गया है कि 30 नवंबर तक नोएडा सेक्टर-93ए में सुपरटेक एमरॉल्ड कोर्ट में बने ट्विन टावन नहीं गिराए जा सकेंगे। सुपरटेक बिल्डर की लापरवाही के कारण इसमें काफी देरी होगी। ऐसे में अब नोएडा प्राधिकरण ने निर्णय लिया है कि बिल्डर के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में रिपोर्ट दी जाएगी। इसमें साफ तौर पर कहा जाएगा कि लगातार बैठक करने व निर्देश देने के बावजूद बिल्डर ने टावरों को गिराए जाने को लेकर कोई गंभीरता नहीं दिखाई।
सुप्रीम कोर्ट ने 31 अगस्त को आदेश दिया था कि 30 नवंबर तक एमरॉल्ड कोर्ट परियोजना में बने अवैध ट्विन टावरों को गिराया जाए। ये टावर प्राधिकरण अधिकारियों व बिल्डर की मिलीभगत से अवैध रूप से बनाए गए हैं।
कोर्ट ने आदेश दिया था कि ये टावर सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीटयूट (सीबीआरआई) की निगरानी में गिराए जाएं। अब कोर्ट के आदेश को आए हुए दो महीने से अधिक का समय हो चुका है, लेकिन इस दौरान बिल्डर ने टावर गिराए जाने को लेकर कोई गंभीरता नहीं बरती। प्राधिकरण अधिकारियों की मानें तो सितंबर बिल्डर ने सिर्फ बिना कुछ करे निकाल दिया। अक्टूबर की शुरुआत से कंपनियों को तलाशना शुरू किया, लेकिन उसमें भी गंभीरता नहीं दिखाई।
कंपनी से ऊपरी तौर पर बातचीत कर उनको प्राधिकरण के सामने बैठक में बैठा दिया। बिल्डर ने कंपनियों का प्रस्तुतीकरण देखने तक भी जहमत नहीं उठाई।
कोई योजना नहीं
प्राधिकरण के साथ बैठक में भी एक भी कंपनी ने अपना पूरा एक्शन प्लान प्रस्तुत नहीं किया। अक्टूबर महीने में ही चार-पांच बार संबंधित कंपनी व बिल्डर ने प्राधिकरण के साथ बैठक की, लेकिन हर बार पुराने समय में किए गए काम का उल्लेख किया। इन टावरों को कैसे गिराया जाएगा, इसको लेकर कोई प्लान नहीं बताया। इस पर सीईओ ने काफी नाराजगी व्यक्त कर बिल्डर को फटकार लगाई थी। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद बिल्डर ने लापरवाही बरती है। आदेश के तहत अब टावर गिराए जाने के लिए अब सिर्फ 25 दिन का समय बचा है। इतने कम समय में टावर गिराया जाना संभव नहीं है।
बिल्डर ने कहा, पांच माह लगेंगे
सुप्रीम कोर्ट ने टावरों को गिराए जाने के लिए बेशक 30 नवंबर तक का समय दे रखा है, लेकिन उससे पहले ही बिल्डर ने बहाना बनाना शुरू कर दिया है। कंपनियों के तर्क का हवाला देकर बिल्डर कह रहा है कि टावरों को गिराने के लिए करीब पांच महीने का समय लगेगा, उससे पहले संभव नहीं है। इसमें दो महीने रिपोर्ट बनाने व तीन महीने गिराने में लगेंगे।
सील न खोलने के दिए तर्क
बिल्डर का कहना है कि ट्विन टावरों में सील लगी हुई थी, प्राधिकरण ने इनको 26 अक्तूबर को खोला। इस कारण उसे कंपनियों को ये टावर पूरी तरह दिखाने के लिए समय नहीं मिल पाया। प्राधिकरण अधिकारियों का कहना है अपने को बचाने के लिए बिल्डर का सिर्फ ये बहाना है। सुप्रीम कोर्ट के 31 अगस्त को आए आदेश के दिन ही टावर सभी के लिए खुल गए थे। कोई भी जा सकता था।
”सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद सुपरटेक बिल्डर टावरों को गिराए जाने को लेकर कोई गंभीरता नहीं दिखा रहा है, सिर्फ समय बर्बाद कर रहा है। कंपनियां व बिल्डर सिर्फ बातें करने प्राधिकरण आ रहे हैं, कोई भी एक्शन प्लान लेकर नहीं आया। प्राधिकरण बिल्डर की हर लापरवाही की रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत करेगा।” -नेहा शर्मा, एसीईओ, नोएडा प्राधिकरण