गांधी मैदान सीरियल बम ब्लास्ट मामले में एनआईए कोर्ट ने दोषी नौ आतंकियों को 15 मिनट में एक-एक करके सजा सुनाई। सजा सुनाने से पहले कोर्ट में बचाव पक्ष और एनआईए के वकील ने अपनी-अपनी दलीलें पेश कीं। दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद एनआईए के विशेष न्यायाधीश गुरुविंदर सिंह मल्होत्रा ने सजा की बिन्दु पर फैसला दिया।
बचाव पक्ष के वकील इमरान गनी ने कोर्ट के समक्ष बहस करते हुए कहा कि ये लोग गरीब परिवार से हैं। इनका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है। इन्हें किसी ने प्रभावित किया था। ये मास्टरमाइंड नहीं हैं। इनके परिवार में कोई भी देखरेख करनेवाला नहीं है। इनकी उम्र व अन्य परिस्थतियों को ध्यान में रखते हुए इन पर दया की जाए। बचाव पक्ष ने यह भी कहा कि घटना के ये मास्टरमाइंड नहीं है। इनको किसने प्रभावित किया, ये बात एनआईए ने अपनी जांच में नहीं लाया है और न ही मास्टरमाइंड का ही खुलासा किया है। बचाव पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों का हवाला देते हुए विशेष न्यायाधीश से सजा देने में नरमी बरतने का अनुरोध किया।
दूसरी ओर एनआईए के वकील लल्लन प्रसाद सिन्हा ने कोर्ट से कहा कि इन लोगों ने संगठित होकर देश व समाज के खिलाफ विद्रोह व आतंकवादी वारदात को अंजाम देकर बेकसूर लोगों की हत्या की है और पूरे देश में दहशत का माहौल कायम करने की कोशिश की है। ये सभी कहीं से भी दया के पात्र नहीं हैं। छह आरोपितों को मौत की सजा दी जाए, जिससे समाज व आतंकवादी घटना को अंजाम देने वाले लोगों को कड़ा सबक मिल सके और ऐसी घटना करने की आतंकवादी दोबारा हिमाकत न कर सकें। इन लोगों को सजा देने में किसी भी प्रकार की सहानुभूति नहीं बरती जानी चाहिए।