गोविंद नगर स्थित शिवम एनक्लेव अपार्टमेंट में वृद्धा आशा देवी को बंधक बना 15 लाख की डकैती डालने वाले आरोपित नाबालिगों को भी डकैती डालने की ट्रेनिंग दे रहे थे। उन्होंने अलग से नाबालिगों की फौज तैयार कर रखी थी। नाबालिग की गिरफ्तारी के बाद जब क्राइम ब्रांच ने उससे पूछताछ की तो यह खुलासा हुआ।
इस डकैती की योजना से लेकर उसे अंजाम देने तक जोगिंदर और मुन्ना यादव ने मुख्य भूमिका निभाई थी। मुन्ना वर्तमान में देवरिया जेल में जबकि जोगिंदर नालंदा जेल में बंद है। पूछताछ में क्राइम ब्रांच को पता चला कि डेढ़ दर्जन लड़कों को तैयार कर रखा है। जिन्हें वह डकैती डालने की बाकयदा ट्रेनिंग देते है और साथ ही घटनाओं में डेमोस्ट्रेशन कराने के लिए अपने साथ ले जाते हैं।
कर्ज में डूबे हुए नाबालिगों को बनाते हैं शिकार
पुलिस अधिकारी के मुताबिक आरोपित ऐसे नाबालिगों को चुनते थे, जो कर्ज में डूबे हों। जिस नाबालिग को इस घटना में गिरफ्तार किया गया है वह कहने को तो आरोपित मुन्ना यादव का रिश्तार है मगर उसका परिवार भी कर्ज में डूबा हुआ था। पैसों के लिए वह अपराधिक घटना को करने के लिए तैयार हो गया।
सबसे पहले क्या करना चाहिए
आरोपित नाबालिगों को घटना में ले जाने से पहले सभी तरह की सम्भावाओं के बारे में जानकारी भी देते थे। जैसे कि खुद के पास क्या होना चाहिए। वहां पहुंचने पर सबसे पहले क्या करना चाहिए। जिसके यहां डकैती डालनी है अगर उसे जान से नहीं मारना है तो कैसे काबू करना है। इसके अलावा हथियारों के बारे में भी बताते थे।
दारोगा की सक्रियता से खुला मामला
कानपुर के गोविंद नगर स्थित शिवम अपार्टमेट में पड़ी डकैती का खुलासा क्राइम ब्रांच के एक दरोगा की सक्रियता व सूझबूझ की वजह से हुआ। एक तरह से दरोगा ही खुलासे के सूत्रधार रहे। एक मोबाइल को चंद सेकेंड के लिए ऑन करना डकैतों के लिए भारी पड़ गया। यहीं से वह जाल में फंसे और फिर परतें खुलती गईं। क्राइम ब्रांच उन तक आसानी से पहुंच गई।
डीसीपी क्राइम के मुताबिक दरोगा सुनीत शर्मा ने इंटरनेट की मदद से डकैती की वारदातों के बारे में सर्च किया। इसमें नालंदा और झारखंड में पड़ीं दो डकैतियों को चिह्नित किया। इन दोनों वारदातों को ठीक उसी तरह से अंजाम दिया गया था जिस तरह से गोविंद नगर की घटना को।
दरोगा ने नालंदा व झारखंड पुलिस से संपर्क किया। नालंदा पुलिस ने बताया कि उन्होंने सुधीर महतो व जोगेंद्र को डकैती के मामले में जेल भेजा है। इसमें वांछित मुन्ना यादव देवरिया जेल में बंद है। दरोगा ने नालंदा व झारखंड पुलिस से तमाम जानकारी ली। उसमें 20 आईएमईआई नंबर भी थे।
जब तफ्तीश की तो पता चला कि 16 सितंबर की रात वारदात के बाद इनमें से एक आईएमईआई नंबर करीब 13 मिनट तक घटनास्थल के आसपास एक्टिव रहा था। उसमें एक नंबर भी चालू था। उसी आधार पर क्राइम ब्रांच ने किशोर को गिरफ्तार किया। जिसके बाद उससे पूछताछ में पूरी घटना खुल गई।