दिल्ली की साकेत कोर्ट ने सीएए और एनआरसी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान कथित भड़काऊ भाषणों से जुड़े एक मामले में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्र शरजील इमाम (Sharjeel Imam) की जमानत याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी है।
अदालत ने 22 अक्टूबर को अपने आदेश में कहा कि 13 दिसंबर, 2019 के भाषण को सरसरी तौर पर पढ़ने से पता चलता है कि यह स्पष्ट रूप से सांप्रदायिक/विभाजनकारी तर्ज पर है। मेरे विचार में, भड़काऊ भाषणों का समाज की शांति और सद्भाव पर एक दुर्बल प्रभाव पड़ता है।
कोर्ट ने अपने आदेश में स्वामी विवेकानंद को भी उद्धृत किया, “हम वही हैं जो हमें हमारे विचारों ने बनाया है, इसलिए आप जो सोचते हैं, उस पर ध्यान दें, शब्द गौण हैं, विचार जीवित हैं, जो दूर तक जाते हैं”।
गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के आरोप में गिरफ्तार शरजील इमाम ने उत्तर-पूर्वी हुई दिल्ली हिंसा से संबंधित एक मामले में एक स्थानीय अदालत से जुलाई महीने में जमानत मांगी थी।
गौरतलब है कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के समर्थकों और विरोधियों के बीच हुई हिंसा के बाद गत 24 फरवरी को उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई सांप्रदायिक हिंसा में 53 लोगों की मौत हो गई थी और लगभग 700 अन्य घायल हुए थे।